मेरी प्यारी माँ,
आज दो महिने बाद एकबार फिर से तुम्हे खत लिखने को मन हो रहा हैं।
क्या बताऊं माँ आज भी आपको डर के मारे ही खत लिख रहा हूँ। पिछले दो हफ्तो से राज्य
और देश मे खौफनाफ घटनाए घटीत हो रही हैं। दलित उत्पिडन, चरवाहे
को गोबर खिलाना, युवको को निर्वस्त्र कर पिटना, गौमाता के नाम पर बेगुनाहो को निशाना बनाना, माँ-बहिनो
से सामूहिक दुष्कर्म करना जैसी अनेक बुरी घटनाए हुई हैं।
अब तुम कहोगी कि दलित उत्पिडन औऱ महिलाओसे दुष्कर्म तो हमेशा होते हैं, इसमें क्या नई बात हैं। हाँ माँ बात तो तुम सही कह रही हों। आये दिन तेरे सपूत माँ बहिनो की अस्मत लुटते हैं। झुठे और ढकोसले अहम के लिए दलितो का मुसलमानो खून चुसते हैं। तेरी यह यह बात बिलकूल सही है माँ।
अब तुम कहोगी कि दलित उत्पिडन औऱ महिलाओसे दुष्कर्म तो हमेशा होते हैं, इसमें क्या नई बात हैं। हाँ माँ बात तो तुम सही कह रही हों। आये दिन तेरे सपूत माँ बहिनो की अस्मत लुटते हैं। झुठे और ढकोसले अहम के लिए दलितो का मुसलमानो खून चुसते हैं। तेरी यह यह बात बिलकूल सही है माँ।
माँ पिछले दो साल से मुल्क मे नया
शिगुफा छिडा हैं। अरे रुको बताता हूँ माँ, तुम भी भक्तगण
की तरह जल्दबाजी न करो...। पिछले ७० बरसो मे कभी किसीने मेरे और तुम्हारे
राष्ट्रवाद पर शक नही किया, पर आज आये दिन लोग फब्तिया कसते
हैं। हर वक्त तुम्हे और मुझे अपनी राष्ट्रीयता सिद्ध करनी पडती हैं। हर रोज
देशभक्ती के प्रमाण माँगे जा रहे हैं। कोई भी छुटभैय्या इनबॉक्स मे आकर थुँकना
शुरु करता हैं। हर कोई धमका है। मीडिया की तुम न ही
पुछो तो बेहतर है माँ।
नानीजी की नेता ‘एंद्रा गांधी’ की खबर दिनभर रोके रखने वाला मीडिया आज नही हैं। आज तो मीडिया सरकार को भी बेच खायेगा माँ, या फिर मौत की निंद सुलायेगा। माँ मैं तो बाहर यह भी कहने से हिचकिचाता हूँ की 'मै पत्रकार हूँ'। तुम्हे पता हैं माँ मीडिया पॅनल पर आये दिन घुम फिर राष्ट्रवाद पर चर्चा आम हो रही हैं। जैसे देस को भुखमरी, किसान आत्महत्या, बेरोजगारी से निजात मिल गयी हो।
राष्ट्रवाद भौतिक कम और शाररिक जरुरत बन गया हो। दो चार निठल्ले और बेरोजगार लोग पॅनल पर बैठाये जाते हैं। और उनको आपस मे लडाया जाता हैं। और पॅनल प्रोड्यूसर जो अँकर के नाम से जाना जाता हैं। वह बस आग मे मिट्टी का तेल छिडकते रहता हैं। आये दिन हम मीडिया के हमले का शिकार हो रहे हैं।
नानीजी की नेता ‘एंद्रा गांधी’ की खबर दिनभर रोके रखने वाला मीडिया आज नही हैं। आज तो मीडिया सरकार को भी बेच खायेगा माँ, या फिर मौत की निंद सुलायेगा। माँ मैं तो बाहर यह भी कहने से हिचकिचाता हूँ की 'मै पत्रकार हूँ'। तुम्हे पता हैं माँ मीडिया पॅनल पर आये दिन घुम फिर राष्ट्रवाद पर चर्चा आम हो रही हैं। जैसे देस को भुखमरी, किसान आत्महत्या, बेरोजगारी से निजात मिल गयी हो।
राष्ट्रवाद भौतिक कम और शाररिक जरुरत बन गया हो। दो चार निठल्ले और बेरोजगार लोग पॅनल पर बैठाये जाते हैं। और उनको आपस मे लडाया जाता हैं। और पॅनल प्रोड्यूसर जो अँकर के नाम से जाना जाता हैं। वह बस आग मे मिट्टी का तेल छिडकते रहता हैं। आये दिन हम मीडिया के हमले का शिकार हो रहे हैं।
आजकल प्राईम टाईम में जिहाद, लादेन
और आय एस से ज्यादा राष्ट्रवाद बिक रहा हैं। माँ काश मैं भी तुम्हारे ‘सुनहरे दिनवाले’ पिरीयड
मे जन्मा होता। मैं भी तुम्हारे तरह देव आनंद की फिल्मे देखता। तुम देव को देखती,
और मैं झिनत को। कितना अच्छा होता न। खैर अब किया भी जा सकता हैं।
नॉन फिक्शन मे टाईम मशीन थोडे ही होती हैं। टाईम से याद आया देस अमीरो को टाईम
बहुत अच्छा चल रहा हैं। यो-यो वाले लडकीयो के चहेते दबंग भाई दोनो मामले मे अदालत
से बरी हुये हैं।
भाईजान ने सांसद ओवेसी का विरोध झेलकर जो पतंग उडाई थी। उसके नतीजे अदालती फैसले के रुप मे आ गये हैं। क्या कहूँ माँ अब तो रास्ते पर चलने से घबरा जाता हूँ पता नही कब कौन अमीरजादा पिछे से आकर कुचल न दे। हर वक्त डर लगा रहता हैं। डर के साये मे जिये जा रहा हूँ माँ। अच्छा हुआ माँ तुम अब भी अर्बन एरिया (जहाँ न मीडिया पहुँचता है न सियासत) में मेट्रो शहरो से कोसों दूर रहती हो। और मीडिया इंटरनेट, अखबार, राष्ट्रवाद की चर्चा से दूर हो। वरना तुम्हारा यहाँ तो जिना मुहाल हो जाता।
भाईजान ने सांसद ओवेसी का विरोध झेलकर जो पतंग उडाई थी। उसके नतीजे अदालती फैसले के रुप मे आ गये हैं। क्या कहूँ माँ अब तो रास्ते पर चलने से घबरा जाता हूँ पता नही कब कौन अमीरजादा पिछे से आकर कुचल न दे। हर वक्त डर लगा रहता हैं। डर के साये मे जिये जा रहा हूँ माँ। अच्छा हुआ माँ तुम अब भी अर्बन एरिया (जहाँ न मीडिया पहुँचता है न सियासत) में मेट्रो शहरो से कोसों दूर रहती हो। और मीडिया इंटरनेट, अखबार, राष्ट्रवाद की चर्चा से दूर हो। वरना तुम्हारा यहाँ तो जिना मुहाल हो जाता।
पढे : न्यूज चॅनेल के ‘टेली मुल्ला’ओं का विरोध हो
पढे : दारा शिकोह के प्रति RSS के झुकाव का मतलब
तो माँ आपसे मैं डर की बात कर रहा था। देशभर में डर का ही माहौल हैं। जाकीर नाईक और आसएस के नाम पर मुसलमानो का मीडिया ट्रायल किया जा रहा हैं। तरह-तरह की गालीयाँ बकी जा रही हैं। मुस्लिम युवाओ को बदनाम और टार्गेट किया जा रहा हैं। शिक्षीत और व्यवसायी मुस्लिम बच्चो में डर का माहौल पैदा किया जा रहा हैं। पिछले हफ्तेभर में कई लडके गंभीर आरोपी बना दिये गये हैं। राज्य रुंह काँप देनेवाली कई घटना घटीत हुई।
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तो माँ आपसे मैं डर की बात कर रहा था। देशभर में डर का ही माहौल हैं। जाकीर नाईक और आसएस के नाम पर मुसलमानो का मीडिया ट्रायल किया जा रहा हैं। तरह-तरह की गालीयाँ बकी जा रही हैं। मुस्लिम युवाओ को बदनाम और टार्गेट किया जा रहा हैं। शिक्षीत और व्यवसायी मुस्लिम बच्चो में डर का माहौल पैदा किया जा रहा हैं। पिछले हफ्तेभर में कई लडके गंभीर आरोपी बना दिये गये हैं। राज्य रुंह काँप देनेवाली कई घटना घटीत हुई।
जिसमे...
*परभणी से दो युवक आयएस
से संपर्क रखने के शक मे गिरफ्तार
*कल्याण से एक युवक आयएस
के शक मे गिरफ्तार
*नवी मुंबई से एक
उच्चशिक्षीत आय एस के शक गिरफ्तार
*गुजरात के उना कस्बे मे
मरी गाय का चमडी निकालनेवाले चार दलित युवको की बेरहमी से पिटाई
*हरयाणा के रोहतक मे पाँ युवको द्वारा लडकी से दुबारा गैंगरेप
*हरयाणा के रोहतक मे पाँ युवको द्वारा लडकी से दुबारा गैंगरेप
*बिहार के मुझफ्फरपूर के
सरैय्या कस्बे मे दो दलित युवको को पेशाब पिलाया गया
*मध्यप्रदेश के मंदसौर
मे बीफ के शक मे दो महिला को बेरहमी से पिटा गया
*काश्मीर मे बुरहान वानी
के मौत के बाद बीस दिनो से कर्फ्यू ५० मासूम लोगो की मौत ५०० अधिक घायल
*एयरफोर्स का ए-३२ जहाज २९ लोगो को लिए गायब, छह दिनो से तलाश जारी
*एयरफोर्स का ए-३२ जहाज २९ लोगो को लिए गायब, छह दिनो से तलाश जारी
*चंद्रपूर मे एक माँ ने
ऑनर किलींग के चलते अपनी २१ वर्षीय बेटी की गला रेंतकर हत्या की।
*पुणे के एक सॉफ्टवेअर इंजिनीअर पती ने
डॉक्टर पत्नी की निर्मम हत्या की।
*गोल्डमैन कहे जानेवाले
दत्ता फुगे की बेटे के सामने पत्थर से कुचलकर हत्या की गयी।
*नागपूर मे स्कूली
छात्रा अपहरण कर रैप किया गया।
*और अहमदनगर तहसील के
कोपर्डी मे नौंवी की छात्रा का सामूहिक बलात्कार निर्मम हत्या की गयी।
पढे : रघुराम राजन को दुसरी टर्म क्यो नही?
पढे : गुजरात फाईल्स पर राणा अयूब को कोई चैलेंज क्यूँ नही करता?
वैसे तो दो हफ्तो का अंकगणित लगाया जाए तो बहुत होती हैं। पर यह प्रमुख घटनाए हैं। पर राज्य मे एक दुष्कर्म की घटना को राजकीय अंग प्राप्त हुआ। और देखते देखते विधानमंडल से संसद तक हिला दी। समाजी दोगलेपन ने अहमदनगर जिले के कोपर्डी घटना को रेखांकीत किया। नाबालीग से दुष्कर्म से सारा राज्य सदमे मे चला गया।
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वैसे तो दो हफ्तो का अंकगणित लगाया जाए तो बहुत होती हैं। पर यह प्रमुख घटनाए हैं। पर राज्य मे एक दुष्कर्म की घटना को राजकीय अंग प्राप्त हुआ। और देखते देखते विधानमंडल से संसद तक हिला दी। समाजी दोगलेपन ने अहमदनगर जिले के कोपर्डी घटना को रेखांकीत किया। नाबालीग से दुष्कर्म से सारा राज्य सदमे मे चला गया।
पीडित विशीष्ट जाति समुदाय के होने के
कारण कथित 'नगर पॅटर्न' के खिलाफ गुस्सा उबला। हर
किसीने इस घटना की निंदा की। घटना के कुछ ही दिनो में पुलिस ने आरोपी को दबोचा। एक
बात अफसोस के साथ कह रहा हूँ माँ, इस घटना को मीडिया ने
नजरअंदाज किया। पर सोशल मीडियाने मेनस्ट्रीम मीडिया को निर्वस्त्र करने के बाद कही
जाकर खबर आई। मैंने तो जब खबर आई तभी से बुलेटीन वाले रनडाऊन मे ले ली थी। हर कोई
ट्विटर और फेसबुक के जरिए घटना की निंदा कर रहा था। देशभर की घटनाए आये दिन
व्हॉट्स अप और फेसबुक पर वायरल किये जा रही हैं।
यहाँ तक तो बात ठीक थी। पर गंदे भद्दे शब्दो
वाले मॅसेज से इनबॉक्स भरे जा रहे थे। सोशल मीडिया की बात ही न पुछो। धोंस
जमानेवाले कंटेट सेकंड-दर-सेंकड और मिनट-दर-मिनट न्यूज फीड हो थे। शब्दो में
चेतावनी दी जा रही थी। उकसाया जा रहा था। इससे पहले भी रोंगटे खडे करनेवाले कई
हादसे हो चुके हैं। तब भी सोशल मीडिया था। पर इस तरह का कभी नही लगा। जैसे सोशल
मीडिया कोर्ट हो गया हो। हर मिनट आदेश, निर्देश दिये जा रहे
थे।
बाज वक्त धमकाया जा रहा था। 'तुम बोलते क्या नही? चुप्पी क्यो साधी हैं? बताओ? निषेध करे? इस तरह के सवाल सेंकडो सरफिरे इनबॉक्स में मुँह उठाये चले आ रहे थे। माँ मैं बहुत डरा हु सहमा हूँ। डर के मारे बारह-पंधरा व्हॉट्स अप ग्रुप से एक्झीट हुआ हूँ। फिर भी डर बरकरार था। मॅसेंजर भी डीलीट किया। फिर भी डरावना माहौल कम नही हो रहा था। बाद में कई घंटो तक नेट भी बंद किया।
बाज वक्त धमकाया जा रहा था। 'तुम बोलते क्या नही? चुप्पी क्यो साधी हैं? बताओ? निषेध करे? इस तरह के सवाल सेंकडो सरफिरे इनबॉक्स में मुँह उठाये चले आ रहे थे। माँ मैं बहुत डरा हु सहमा हूँ। डर के मारे बारह-पंधरा व्हॉट्स अप ग्रुप से एक्झीट हुआ हूँ। फिर भी डर बरकरार था। मॅसेंजर भी डीलीट किया। फिर भी डरावना माहौल कम नही हो रहा था। बाद में कई घंटो तक नेट भी बंद किया।
पहली दफा इतना डरा हु माँ। तुम तो कहा
करती थी मैं कभी किसीसे नही डरा। पर माँ इन दो हफ्तो में मै बहुत डरा हुँ। अभी भी
यह डर रुकने का नाम नही लेता। टिव्ही लगाऊ या नही, अब यह भी सोंचने लगा
हुँ। लगता हैं अब तो चॅनल सर्फींग करना भी राष्ट्रवाद की पहचान बन जायेगा। घर के
डायनिंग हॉल आकर कोई सीसीटीव्ही न लगा ले, आजकल यह भी डर
सताता हैं। माँ अब तो फ्रेंडलिस्ट से भी राष्ट्रवाद नाँपा जा रहा हैं। इन्फॉर्मेशन फॉर वॉरफेयर शुरु
हो चूका है। हर कोई एक दुसरे को उकसाना चाह रहा है।
पढे : सांसद कि हत्या औऱ पदोन्नती की सौगात
पढे : मौत का खेल और लोगों का व्हिडिओ कॉम्पीटिशन
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अखबार कौनसा पढते हैं, इसपर
भी भक्तगण बहस करने लगे हैं। हजारो सलाह दी जा रही हैं। कोई कुछ तो कोई कुछ कहता
है। फलाँ अखबार या टिव्ही मत देखो, वह अँण्टीनैशनल हैं। फलाँ
अँकर ही सुने, वही राष्ट्रभक्त हैं। बाकी सारे पत्रकार अँकर
अँण्टीनैशनल हैं। फलाँ सेमिनार मत जाये। फलाँ जगह न जाये। फलाँ चिजे न खाये। फलाँ
नारे लगाये। फलाँ रिंगटोन रखे। फलाँ लोगो से माल खरीदे, फलाँ
लोगो से इण्टरटेंट न हो, फलाँ अैक्टर, डिरेक्टर,
गायको को देखे सुने। यही सच्चे राष्ट्रभक्त हैं। बाकी सारे
अँण्टीनैशनल हैं।
तरह-तरह की बिनमांगे हजारो सलाह दी जा रही हैं। क्या कहूँ माँ चारो ओर डर का माहौल हैं। मेरी तरह देस का हर वह इन्सान डरा हैं। जो, थोडासा विचार करता हैं। जिसके मन मे हर बार प्रश्न उठते हैं। जो बॉस की गालीया सुनकर महिने की सॅलरी मे सर्व्हीस टैक्स कट जाने पर अब झल्लाता नही हैं। पर बाहरी माहोल से डर जाता हैं। प्रेमी अपने भविष्य को लेकर चिंतीत हैं।
छात्र करिअर को लेकर डरा हैं। बेरोजगार जॉब को लेकर चिंतीत हैं। तो सरकार डिजीटल और मेक इंडिया पर करोडो हजार खर्च कर रही हैं। पर आम इन्सान डरा और सहमा हैं। माँ इस डर से कब तक निजात पायेंगे यह तो तुम बता सकती हो न यह समय। बस जिना हैं इसलिए सहमे से चले जा रहे हैं।
तरह-तरह की बिनमांगे हजारो सलाह दी जा रही हैं। क्या कहूँ माँ चारो ओर डर का माहौल हैं। मेरी तरह देस का हर वह इन्सान डरा हैं। जो, थोडासा विचार करता हैं। जिसके मन मे हर बार प्रश्न उठते हैं। जो बॉस की गालीया सुनकर महिने की सॅलरी मे सर्व्हीस टैक्स कट जाने पर अब झल्लाता नही हैं। पर बाहरी माहोल से डर जाता हैं। प्रेमी अपने भविष्य को लेकर चिंतीत हैं।
छात्र करिअर को लेकर डरा हैं। बेरोजगार जॉब को लेकर चिंतीत हैं। तो सरकार डिजीटल और मेक इंडिया पर करोडो हजार खर्च कर रही हैं। पर आम इन्सान डरा और सहमा हैं। माँ इस डर से कब तक निजात पायेंगे यह तो तुम बता सकती हो न यह समय। बस जिना हैं इसलिए सहमे से चले जा रहे हैं।
तुम्हारा ही
लोकतंत्र मे विश्वास रखने वाला एक सपुत
वाचनीय
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