देश मे सोशल मीडिया और बुद्धीजीवी वर्ग मे फिलहाल दो मुद्दो पर ज्यादा
चर्चाए झड रही हैं। एक ते रघुराम राजन, तो दुसरी #गुजरात_फाईल्स। महिना बीत चुका हैं। पर अभी भी यह हॉट इश्शू
हैं। कुछ लोग यह सोंच रहे होंगे कि गुजरात फाईल्स क्या हैं? मै
यह बता दूँ की, असल मे यह एक किताब हैं जो, किसी एक राज्य के गृहविभाग को नंगा कर सकती हैं। #मैथिली_त्यागी नामक विदेशी फिल्ममेकर ने लिखी यह किताब, देश
के मीडिया और सियासत मे हलचल मचा दी हैं।
मंगलवार को #गुजरात_फाईल्स
पर मुंबई के प्रेस क्लब मे विमर्श रखा गया था। जिसमे वरिष्ठ पत्रकार अयाज मेमन,
कुमार केतकर और पूर्व चिफ जस्टीस बी एन श्रीकृष्ण तथा खुद मैथिली
त्यागी मौजुद थीं। इस विमर्श में मैथिली ने बताया की, जब
उन्होने गुजरात मे तत्कालिन सीएम पर कथित फिल्म के लिए कई लोंगो से मुलाकाते की।
जिसमे राज्य के प्रमुख और कुछ रसुखदार लोगो से मिली। तब उन लोंगो ने मैथिली को
बहोत कुछ सनसनीखेज बाते बताई। जिसमे राज्य की मास हत्याए और फेक एन्काऊंटर के बारे
अनेक अप्रकाशित खुलासे थे। इन दोषीयो के नाम मैथिलीजी को मिले इनमे आज एक राज्य की
सीएम हैं, तो दुसरे पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष। और तिसरे सदस्य
देश के प्रधानमंत्री।
पढे : गुजरात फाईल्स पर राणा अयूब को कोई चैलेंज क्यूँ नही करता?
पढे : गुजरात फाईल्स पर राणा अयूब को कोई चैलेंज क्यूँ नही करता?
पढे : रघुराम राजन को दुसरी टर्म क्यो नही?
इन रसुखदार लोगो मैथिली को दंगल और फेक एन्काऊंटर संबधी बहुत सी जानकारी दी। इन साहब ने विदेशी मैथिली को राज्य विशेष सैर भी करवाई। दावते खिलवाई। और शॉपींग भी करवाई। मैथिली डमी पहचान के आधार पर बहुत सारी जानकारी इकठ्ठा की। डमी नाम लिए जिस मीडिया संस्थान के लिए काम कर रही थी। रिसर्च के आधार पर मैथिलीजी ने अनेक रिपोर्ताज लिखे। मीडिया संस्थान को एक्सक्लुझीव्ह न्यूजे दी। पर संस्थान ने वह प्रकाशित नही की। क्योकी रिपोर्ताज के आधार पर जो लग दोषी साबीत हो रहे थे, वह भविष्य मे और भी ज्यादा रसुखदार होनेवाले थे। तथा 'विशेष' ने कोर्ट उन्हे बरी भी कर दिया था। उनसे दोस्ती निभाते हुये मैनेजमेंट ने रिपोर्ताज दबा दिये।
इन रसुखदार लोगो मैथिली को दंगल और फेक एन्काऊंटर संबधी बहुत सी जानकारी दी। इन साहब ने विदेशी मैथिली को राज्य विशेष सैर भी करवाई। दावते खिलवाई। और शॉपींग भी करवाई। मैथिली डमी पहचान के आधार पर बहुत सारी जानकारी इकठ्ठा की। डमी नाम लिए जिस मीडिया संस्थान के लिए काम कर रही थी। रिसर्च के आधार पर मैथिलीजी ने अनेक रिपोर्ताज लिखे। मीडिया संस्थान को एक्सक्लुझीव्ह न्यूजे दी। पर संस्थान ने वह प्रकाशित नही की। क्योकी रिपोर्ताज के आधार पर जो लग दोषी साबीत हो रहे थे, वह भविष्य मे और भी ज्यादा रसुखदार होनेवाले थे। तथा 'विशेष' ने कोर्ट उन्हे बरी भी कर दिया था। उनसे दोस्ती निभाते हुये मैनेजमेंट ने रिपोर्ताज दबा दिये।
इस घटना से नाराज मैथिली ने अपने काम से इस्तिफा दिया। और खुद अपने
ही दमपर #गुजरात_फाईल्स
प्रकाशित की हैं। इस किताब को पूर्व चीफ
जस्टीस बी एन श्रीकृष्ण ने प्रस्तावना लिखी है। मई 2016 को इस किताब को दिल्ली के
एक समारोह मे रिलीज् किया गया। दिल्ली प्रेस की केरव्हान मॅगझीन ने इस कार्यक्रम
को आयोजित किया था। इस कार्यक्रम मे महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चौहान,
पूर्व केंद्रीय मंत्री मनिशंकर अय्यर, सांसद असदुद्दीन ओवेसी, वरीष्ठ पत्रकार शेखर
गुप्ता आदि गमनाम्या व्यक्ती उपस्थित थे। इस किताब की कुल 27 हजार प्रतिया छापी जा
चुकी हैं। जो लगभग खत्म होने की कगार पर हैं।
पढे : 'कैराना पलायन' पर NHRC की रिपोर्ट संदेह के घेरे में
मैथिलीजी चाहती हैं की इस किताब को कोई चैलेंज करे। कोई उन्हे झुठा साबीत करे। पर किताब के तथ्थ्यो पर हर कोई चुप्पी साधे बैठा हैं। मैथिलीजी के पास बहुत सारे डॉक्युमेंट हैं। वह चाहती हैं की, जाँच एजन्सीयाँ वह मांगे। वह देने को भी तयार हैं। पर अफसोस यह हैं की कोई भी सबुत लेने को तयार नही हैं। वह चाहती हैं की, फेक एन्काऊटर के जाँच कर रही एजेंसियाँ इस सबुत को मांगे। वह देने को तय्यार भी हैं। पर कोई नही चाह रहा कि इस केस को दुबारा खोला जाए। पर एक बात तो सच हैं कि, मैथिली जी की इस किताबने देश के तमाम बुद्धिजिवी वर्ग तथा मीडिया जगत मे हलचल मचाई हैं। लोग इस की किताब को पढ रहे है। सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही हैं। पर इस किताब का आगे क्या होंगा यह किसी को पता नही हैं..
मैथिलीजी चाहती हैं की इस किताब को कोई चैलेंज करे। कोई उन्हे झुठा साबीत करे। पर किताब के तथ्थ्यो पर हर कोई चुप्पी साधे बैठा हैं। मैथिलीजी के पास बहुत सारे डॉक्युमेंट हैं। वह चाहती हैं की, जाँच एजन्सीयाँ वह मांगे। वह देने को भी तयार हैं। पर अफसोस यह हैं की कोई भी सबुत लेने को तयार नही हैं। वह चाहती हैं की, फेक एन्काऊटर के जाँच कर रही एजेंसियाँ इस सबुत को मांगे। वह देने को तय्यार भी हैं। पर कोई नही चाह रहा कि इस केस को दुबारा खोला जाए। पर एक बात तो सच हैं कि, मैथिली जी की इस किताबने देश के तमाम बुद्धिजिवी वर्ग तथा मीडिया जगत मे हलचल मचाई हैं। लोग इस की किताब को पढ रहे है। सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही हैं। पर इस किताब का आगे क्या होंगा यह किसी को पता नही हैं..
कलीम अजीम
मुंबई
वाचनीय
ट्रेडिंग$type=blogging$m=0$cate=0$sn=0$rm=0$c=4$va=0
-
जर्मनीच्या अॅडाल्फ हिटलरच्या मृत्युनंतर जगभरात फॅसिस्ट प्रवृत्ती मोठया प्रमाणात फोफावल्या. ठिकठिकाणी या शक्तींनी लोकशाही व्यवस्थेला हादरे द...
-
“जो तीराव फुले और सावित्रीमाई फुले के साथ काम फातिमा कर चुकी हैं। जब जोतीराव को पत्नी सावित्री के साथ उनके पिताजी ने घर से निकाला तब फातिमा ...
-
उस्मानाबाद येथे ९३वे अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलन पार पडत आहे. या संमेलनाचे अध्यक्ष फादर फ्रान्सिस दिब्रिटो आहेत. तर उद्घाटन म्हणून रान...
-
अ खेर ४० वर्षानंतर इराणमधील फुटबॉल स्टेडिअमवरील महिला प्रवेशबंदी उठवली गेली. इराणी महिलांनी खेळ मैदानात प्रवेश करून इतिहास रचला. विविध वे...
-
मध्यपूर्वेतील इस्लामिक राष्ट्रात गेल्या 10 वर्षांपासून लोकशाही राज्यासाठी सत्तासंघर्ष सुरू आहे. सत्तापालट व पुन्हा हुकूमशहाकडून सत्...
-
फिल्मी लेखन की दुनिया में साहिर लुधियानवी और सलीम-जावेद के उभरने के पहले कथाकार, संवाद-लेखक और गीतकारों को आमतौर पर मुंशीजी के नाम से संबोधि...
-
इ थियोपियाचे पंतप्रधान अबी अहमद यांना शांततेसाठी ‘नोबेल सन्मान’ जाहीर झाला आहे. शेजारी राष्ट्र इरिट्रियासोबत शत्रुत्व संपवून मैत्रीपर्व सुरू...
/fa-clock-o/ रिसेंट$type=list
चर्चित
RANDOM$type=blogging$m=0$cate=0$sn=0$rm=0$c=4$va=0
/fa-fire/ पॉप्युलर$type=one
-
को णत्याही देशाच्या इतिहासलेखनास प्रत्यक्षाप्रत्यक्ष रीतीने उपयोगी पडणाऱ्या साधनांना इतिहाससाधने म्हणतात. या साधनांचे वर्गीकर...
-
“जो तीराव फुले और सावित्रीमाई फुले के साथ काम फातिमा कर चुकी हैं। जब जोतीराव को पत्नी सावित्री के साथ उनके पिताजी ने घर से निकाला तब फातिमा ...
-
इ थे माणूस नाही तर जात जन्माला येत असते . इथे जातीत जन्माला आलेला माणूस जातीतच जगत असतो . तो आपल्या जातीचीच बंधने पाळत...
-
2018 साली ‘ युनिसेफ ’ व ‘ चरखा ’ संस्थेने बाल संगोपन या विषयावर रिपोर्ताजसाठी अभ्यासवृत्ती जाहीर केली होती. या योजनेत त्यांनी माझ...
-
फा तिमा इतिहास को वह पात्र हैं, जो जोतीराव फुले के सत्यशोधक आंदोलन से जुड़ा हैं। कहा जाता हैं की, फातिमा शेख सावित्रीमाई फुले की सहयोगी थी।...
अपनी बात
- कलीम अजीम
- कहने को बहुत हैं, इसलिए बेजुबान नही रह रह सकता. लिखता हूँ क्योंकि वह मेरे अस्तित्व का सवाल बना हैं. अपनी बात मैं खुद नही रखुंगा तो कौन रखेगा? मायग्रेशन और युवाओ के सवाल मुझे अंदर से कचोटते हैं, इसलिए उन्हें बेजुबान होने से रोकता हूँ. मुस्लिमों कि समस्या मेरे मुझे अपना आईना लगती हैं, जिसे मैं रोज टुकडे बनते देखता हूँ. Contact : kalimazim2@gmail.com