मुसलमान ‘टेली मुल्ला’ओं का बाइकॉट क्यूँ नही करते?

पीएम डिजिटल इंडिया को प्रोत्साहित करते हैं, फिर व्हॉट्सएप दिया गया तलाक को नामंजूर कैसे किया जा सकता हैं” यह वाक्य किसी न्यूज चॅनेल पर बैठे टेली मुल्ला का हैं। जिसे ११ नवंबर २०१७ को एक खबर के रुप में जनसत्ता ऑनलाइन ने पेश किया था।

साफ तौर से कहे तो इस खबर का मकसद मुसलमानों को कमअक्ल, बेवकुफ साबीत करना था और उसी अंदाज में खबर पेश की गई थी। इसी तरह दूसरी खबर १६ जुलाई २०१८ के दैनिक जागरण पोर्टल पर देखने को मिली। जिसमे प्राइमटाइम के लाईव्ह प्रसारण के दौरान एक मौलाना रुपी शख्स एक महिला पर हाथ उठाता हैं। इस खबर को भी कथित रूप से मुसलमानों कि गलत छवी पेश करने के लए इस्तेमाल किया गया।

असल में दोनो खबरे और उसका ड्रामा प्लान्टेड और स्क्रीप्टेड था। आपको शायद यकिन नही होगा, मगर आज के गोदी मीडिया का यह एक कडवा सच हैं। बीते कई सालों से प्राइमटाइम बहस में इस तरह के नजारे और बेहुदा किस्म के जुमले आम हो गए हैं। जो कि एक कारोबारी फिल्म के पटकथा के हिस्से जैसा ही लगता हैं।

बीते कुछ दिनों से न्यूज चॅनेल पर प्रवक्ता बने मुल्लाओं कि जैसे बाढ़ सी आ गई हैं। जो मुसलमानों के प्रतिनिधी बन समाज को दकियानुसी, पुराने खयालातों वाले, मजहबी, औरते के अधिकारविरोधी, कथित जिहादी साबीत करने की कोशिश कर रहे हैं। मानो हर कोई मौलवी एक ही स्क्रिप्ट पढ़ रहा हो। कई बार तो यह लोग सरकार के मुस्लिमविरोधी रवैय्ये को सहीं ठहराने की कोशिश करते हैं।

इन जैसे टेली मुल्लाओं के खिलाफ बीते कुछ दिनों से गुस्सा फूट पड़ रहा हैं। ट्विटर और फेसबुक पर उनकी आलोचना की जा रही हैं। इन के खिलाफ मुहीम चल चलाई जा रही हैं। इन टेली मुल्लाओं के लिए #NotOurVoice और #RentalMulle नाम के साथ हैशटैग चलाया जा रहे हैं। 

जिसमे मौलानारूपी शख्सियतो के लिए तरह-तरह के सवाल उठाए गये हैं। यह लोग भारत के तमाम मुसलमानों कि आवाज कैसे हो सकते हैं, यह हमारे नुमाइंदे नही हैं। किस ने उन्हें नुमाइंदा बनाया? हम तो शुरुआत से इन मौलवीयों के खिलाफ लिखते-बोलते आये हैं। यह लोग चॅनेल के ‘पेड गेस्ट’ (पैसा देकर बुलाये गए) होते हैं। चंद पैसे, महज टिवी के स्क्रीन पर दिखना; या फिर आने-जाने के गाडी से यह लोग खूश हो जाते हैं।




चौकाने वाले बात तो यह है कि इन में से हर कोई किसी न किसी ‘राष्ट्रीय संघठन’ का मुखिया हैं। अब यहां यह अलग से बताने ने कि जरुरत नही के यह तमाम तंजीमें महज कागजी होती हैं। टीवी पर दिखने वाले बहुत से मुल्लाओं ने तो #BJP कि अधिकृत सदस्य़ता ले ली हैं। आप इनके सोशल मीडिया अकाऊंट खंगालेगे तो पता चलेंगा कि यह बीजेपी और #RSS से ज्यादा अँटी मुस्लिम हैं।

बात महज बीजेपी के सदस्यता की होती तो अलग बात पर यहाँ यह लोग आरएसएस के ट्रेनिंग कॅम्प से निकले हैं। यह बात हवा में नही कह रहा हूँ। क्योंकि यह दस-बारह लोग ही चॅनेल पर प्रवक्ता होते हैं। इनके अलावा देश में इस्लामी विचारक, अध्येता, स्कॉलर, या फिर आलीम का अकाल पड़ा हैं। जमात ए इस्लामी, तबलिग, जमियत ए उलेमा जैसे धार्मिक संघठनों के पास अपना-अपना थिंक टैंक हैं। मगर टीवी का पॅनेल उन्हें डिस्कशन के लिए क्यों नही बुलाता? 

ट्रेनिंग कॅम्प से निकले लोग चॅनेल के स्क्रीन पर ‘मौलाना’ या ‘मुस्लिम विचारक’, ‘चिंतक’ के रूप में उन्हें बैठते हैं। उनकी बीजेपी कि सदस्यता छुपाने का काम यहां होता हैं। यह लोग अपनी जुबान से नही बल्कि चॅनेलवालों के जुबान से बात करते हैं, जो चॅनेल को अपना अजेंडा चलाने के लिए चाहीए, वहीं यह लोग बोलते हैं। या उन्हें दिये जाने वालों पैसो के बदले उनसे बुलवाया जाता हैं।

मैंने दो साल न्यूज चॅनेल में काम किया हैं, इसलिए वहां क्या-क्या होता है, यह मुझे पता हैं। कुछ लोग महज पब्लिसिटी और नाम बनाने चॅनेल पर आते हैं। महाराष्ट्र में कई लोग ऐसे हो, जो मुझे बार-बार चॅनेल के पॅनल पर बुलाने कि बिनती किया करते थें।

न्यूज चॅनेल वाले अपने आकाओं का अँटी मुस्लिम अजेंडा चलवाने के लिए मुसलमान मुल्लाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। महज इस्तेमाल तक बात सिमित होती तो कुछ हर्ज नही मगर आपके टोपी-दाढी वाले चेहरे बताकर भारत के मुसलमानों कि छवी बिगाडने कि यह कोशिश की जा रही हैं। जो का बहुत खरतनाक हैं।




सब पहले से तय होता हैं
आज मुस्लिम हेडिंग कि कोई भी घटिया से घटीया न्यूज खूब पैसे बटोर रही हैं। आप सोंचोंगे केसे? रुकिये बताता हूँ।

कारोबारी मीडिया नें मुसलमानों कि गलत छबी बनाकर पेश की हैं। जिसमें असल खबरो को दबाकर अन्य गुमराह करने वाली खबरे दिखाई जाती हैं। जिसमे दो गुटों के शोरगुल को हिन्दू बनाम मुस्लिम, छिटपूट घटना को सांप्रदायिक रंग दिया जाता हैं। विदेशी खबरों मे जिहाद, इस्कोलाम, अतिवाद ढुंढा जाता हैं। इजराइल हो या अमरीका के अजेंडो को अरबों के खिलाफ बताया या चलाया जाता हैं। मूल खबरे छिराकर खबरों को गलत ढंग से पेश किया जाता हैं।

ब्रेकिंग के नाम पर सनसनी पैदा करने वाली खबरे परोसी जा रही हैं। (बाद के खबरो पहले वाली ब्रेकिंग पुरी तरह बदली होती हैं) किसी भी घटना में मुसलमानों के रेखांकित करने का काम धडल्ले से जारी हैं। कोबरा पोस्ट कि स्टिंग को जरा याद कर ले। जिसमें कहा गया था कि पैसो के लिए वे नफरत फैलाने के किसी भी हद तक जा सकते हैं, यह खुद मीडिया ने कबुला था।

मुसलमान हल्ला मचानेवाले, गुंडे, खुँखार, परंपरावादी तथा अतिधार्मिक हैं और उनसे सारे समाज को खतरा हैं, ऐसा माहौल मीडिया ने तैयार किया। आम इन्सान बेचारा जो रोजी-रोटी के लिए जुगत में रहता हैं, मेहनत करता हैं, वह मीडिया द्वारा फैलाये गए इस वहम का आसानी शिकार हो जाता हैं। उसे अपनी और परिवारवालों कि जान प्यारी होती हैं। वह डर फैलानी वाली हर चिज को अलर्ट होने के लिए देखता हैं। लोगों को भी ‘अलर्ट’ करवाता हैं। बेचारा नही जानता कि वह मीडिया द्वारा जाल में फंस रहा हैं।

चॅनलवाले ऐसी चिजे प्राइमटाइम में (याने रात ७ से लेकर १० बजे तक आमतौर पर यही समय लोग थोडा रिलॅक्स होते हैं और टीवी देखते हैं) दिखलाई जाती हैं। प्राइमटाइम में हिन्दू विरुद्ध मुस्लिम जंग करवाई जाती हैं। यह प्रोग्रॅम देखकर आम इन्सान बेचारा मुसलमानों से डर जाता हैं। क्योंकि यह खबरे ड्रामेटिक अन्दाज में इस तरह पेश कि जाती है, जिसमे डर, खौैफ, संदेह, शक और गलत बयानबाजी की जाती हैं। साउंड का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल कर लोगों के दिलों मे वहशत बैठाइ जाती हैं। यह आधा सच बताने वाली, और झुठ को परोसने वाली खबरे लोगों के दिमाग पर देर तक गहरा असर छोडती हैं।

कभी-कभी चॅनेलवाले चार-चार मुस्लिम लोग पॅनल पर बुलाकर उन्हें आपस में लडवाते हैं। याद रहे कि हर पॅनलिस्ट के कान में ‘EP माईक’ लगा होता हैं, जो उसे लाईव्ह रखता हैं। उसके कानों मे चॅनेल मॅनेजमेंट सूचनाए देती हैं, जैसे, आवाज आ रही हैं या नही, ठीक के बैठो, आदी.. जब प्राइमटाइम में कोई प्रवक्ता पर थंडा चल रहा होता हैं, तब उसे उन कान के माईक में उससे कहा जाता हैं, अबे तू चुप क्यों हैं... उसका ऐसा (बताया जाता हैं क्या बोलना हैं) जवाब दे..., तू उसपर चढ जा..., देख तुझे उसने गाली दी हैं... देख तुझे वह ललकार रहा हैं..., तू उसका जवाब क्यो नही देता... वगैराह... वगैराह... यह सारी सूचनाए पॅनल या प्राइमटाइम प्रोड्यसूर देता रहता हैं। आप चौंक जायेंगे मगर यह सब न्यूज चॅनेल में रोजाना चलता हैं।

तलाक वाली बहस में बुरका पहनी औरतो को बुलाया जाता था। वहां पढी-लिखी खातून का जाना ममनून था। याने पढे-लिखे लोगो को बुलाया ही नही जाता था। शर्ट पॅण्ट वाले नही बल्कि दाढी और टोपी वालें मौलानारूपी लोगों को पहली प्राथमिकता दी जाती थी।




यह मुसलमानों के प्रतिनिधी कैसे?

न्यूज चॅनेल पर दिखने वाले यह ‘टेली मुल्ला’ हरगीज भारत मुसलमानों के प्रतिनिधी नही हैं। यह तो महज न्यूज चॅनेल के खरेदी किए प्रवक्ता हैं। जो मामूली शोहरत और चंद पैसों के लिए भारत के मुसलमानो को गालिया बकते हैं। इनमें से सारे लोग पैसो के लिए नही आते, कुछ लोग तो सस्ती पब्लिसिटी पाने के लिए मीडिया के ट्रैप मे फसते हैं। उन्हें पता नही होता के मैं चॅनेल वालों के जाल में फंसा हूँ। वह बडी-बडी डिंगे मारते हैं, मसाले के लिए चॅनल वालों कि तरफ से ऐसे लोगो को भी रखा जाता हैं।

ऐसे में मेरी आम मुसलमानों से अदबन गुजारिश हैं कि अँटी मुस्लिम थ्रेट वाले किसी भी प्रोग्रॅम मे जाने से परहेज करीये। जो लोग पब्लिसिटी के भूखे हैं, वह खुद ही अपना ब्रॉडकास्टर बने। याने फेसबुक, ट्विटर पर अपने वीडियो डालते रहे। या अपना यूट्यूब बनवाये। या रोज-रोज फेसबुक लाईव्ह आये और अपने आप को पेश करें। मगर याद रहे कि मुसलमानों को बदनाम करनेवालों के जाल में मत फंसे। जो लोग पेड हैं, उनसे कोई बिनती नहीं। वह तो पैसा, शोहरत और वाहवाही के बदले में सांप्रदायिक ताकतों को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। उनके लिए आखिरत हैं।

याद रखे चॅनेल वाले लोग तुम्हे तरह-तरह कि रियायते देगे। बढा-चढ़ाकर रहेगे। खूब पैसा देगें। इसके अलावा राजनैतिक काम भी करवाने का लालच देंगे। ऐसे वक्त उनसे कहें कि पर्यावरण की बहस में मुझे बुलाईये। आर्थिक मसला तथा बजेट पर बहस के लिए हम आएगे। विदेशी कूटनीतिक बहस, महिलाओं के सवाल, साइन्स, इतिहास, साहित्य, संस्कृति तथा अन्य मामलों पर बुलाईये।

मैं दावे के साथ कहता हूँ कि वह लोग आपको इन मुद्दों पर चर्चा करने आपको हरगीज नहीं बुलायेंगे। क्योंकि उन्हें राजनैतिक मसलो पर हिन्दू और मुसलमान करने के लिए मुस्लिम चेहेरे चाहीए होते हैं। जिससे वह भारत के तमाम मुसलमानों के शत्रू साबित करने का अजेंडा लिए चलते हैं। कई बार तो चॅनेल में काम करने वालों लोगो को टोपिया पहनाकर, वन टू वन (छोटा इंटरव्यू), वॉक्सपॉप (प्रतिक्रिया) लिए जाते हैं। मुसलमानो का अमानवीकरण करने के लिए मीडिया मुसलमानोे के चेहरों का इस्तेमाल कर रही हैं। ऐसे में मुसलमान खुद शैतान होने से बचे और अपने दोस्बेत अहबाब को भी बचाइये।

टीवी देखने वाले आम लोगों से और संघठनो से मेरी गुजारिश हैं कि, जो लोग इस तरह से चॅनेल पर जाकर मुसलमानों के खिलाफ गालीयाँ बकते हैं, उन्हे बुरा-भला कहते हैं, या तुम्हारी बात कहने के नाम पर अपना सडियल दिमाग चलाते हैं। जो बात तुमको पसंद नही वह करते हैं, तब उन्हें फोन कर के उनके बिनती करे। (ट्रोल ना करे) उनसे कहो आप पॅनल पर मत जाईये।

उन्हे बताये कि मुसलमानों को विलेन बनाने में उनकी मदद ना करे। तब भी अगर वह लोग नही मानते तब चाहे वह मौलाना हो या कोई और उन सब के खिलाफ अपने गांव, शहरो और कस्बों से बार-बार FIR दाखिल करें। याद रखीए कानूनी दाँवपेच इस्तेमाल कर हम उन्हे रोक सकते हैं।

दुसरी बात एक अभियान चलाए और देशवासीयों से कह दे की, यह हम बीस करोड़ मुसलमानों नुमाइंदे नहीं हो सकते। इन टेली मुल्लाओ को बहिष्कृत करे। जगह-जगह उनके खिलाफ बाइकॉट मुहिम चलाए। चॅनेल वालो को खत लिखे, उन्हें मेल भेजे, सोशल मीडिया पेज पर जाकर रिपोर्ट करे।

कलीम अजीम, पुणे
Twitter@kalimajeem

वाचनीय

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मुसलमान ‘टेली मुल्ला’ओं का बाइकॉट क्यूँ नही करते?
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