तानाशाही नही चलेंगी.. नही चलेंगी.. हिटलरशाही नही चलेंगी.. नही चलेंगी.. प्रतिगामी संघटनाए मुर्दाबाद.. मुर्दाबाद.. फॅसीझम पे हल्ला बोल.. धर्मवाद पे हल्ला बोल, लोकशाही या ठोकशाही सरिखी जोरदार घोषणाबाजी करते हुए पुणे मे कॉमरेड गोविंद पानसरेपर हुए हमले की निंदा कडे शब्दो मे की गयी. आज सुबह कॉम्रेड पती-पत्नीपर जानलेवा हमला किया गया, इस हमले मे पानसरे के शरिर मे तीन गोलियाँ उतर गयी, जिनकी वजह से वह गंभीर रुप से घायल हुए. इस घटना के निषेध मे पुणे मे विविध संघठन और पदाधिकारी की और से ‘विधान भवन’ के सामने धरना दिया गया. इस मौके पर सुभाष वारे, कॉम्रेड अजित अभ्यंकर, अनवर राजन, शमसुद्दीन तांबोली, डॉ. सजय दाभाडे, सय्यदभाई आदि उपस्थित थे.
कोल्हापूर में कम्युनिस्ट
पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के दिग्गज नेता गोविंद पानसरे व उनकी पत्नी को सोमवार
सुबह सागरमाला स्थित उनके घर के सामने दो अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी. हमले
में बुरी तरह घायल पानसरे की हालत नाजुक बताई जा रही है. केंद्र और राज्य में बीजेपी सरकार बनने के बाद से देश भर में
असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद हो गए हैं. हमला होने की खबर प्राप्त होते ही महाराष्ट्रभर
मे निषेध रॅलीयाँ शुरु हुयी. दोपहर साढे चार बजे पुणे स्थित विधान भवन के सामने धरना
आंदोलन किया गया.
पानसरे और उनकी पत्नी सुबह की सैर करने के बाद शिवाजी विश्वविद्यालय से वापस लौट रहे थे. तभी सुबह करीब आठ बजे आइडल हाउसिंग सोसायटी के बाहर उन पर
अज्ञात हमलावरों ने यह हमला किया. चार राउंड गोलियां चलाने के बाद दोनों फरार हो
गए. जिसके बाद वकील व लेखक गोविंद पानसरे (82) और उनकी पत्नी को एस्टर आधार अस्पताल में
भर्ती कराया गया. उनकी स्थिती नाजूक बतायी जा रही है.
अनवर राजन ने अपनी बात रखते हुये कहा की, यह बहुत ही दुखद घटना घटी है, इस घटना से महाराष्ट्र के ‘विवेक’ को ठेंस पहुंची है, इस मुलगामी विचारधारा का हम कडे शब्दो मे निषेध करते है, कुछ दिन पहले इसी पुणे शहर मे डॉ. नरेद्र दाभोलकर की हत्या की गयी और आज कोल्हापूर मे कॉमरेड गोविंद पानसरे पर जानलेवा हमला यह बहुत शर्म की बात है. देश और राज्य मे नयी सरकार के स्थापना के बाद प्रतिगामी संघठन और उनकी ताकते बढ गयी है, परिणामस्वरुप भारत की अखंडता और सार्वभौमिकता पर निशाना साधा जा रहा है, राज्यमे प्रतिगामी ताकते बढने की वजह से प्रोग्रेसिव्ह आंदोलन की गती कम होते जा रही हैं. इस घटना की हम कडे शब्दो मे निंदा करते है.
इस देश मे फॅसीझम के नाम पर नंगा नाच शुरु हो गया हैं, कुछ दिन पहले भारत के संविधान के सरनामे से ‘धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद’ यह दो शब्द निकाले गये थे, यह एक पूर्व नियोजित साजीश थी. हिंदुत्ववादी विचारधारा ने डॉ. नरेद्र दाभोलकर की हत्या की, आज भी वह हत्यारे खुलेआम घूम रहे है, सरकारने उन्हे अरेस्ट न कर उन्हे संरक्षण प्राप्त किया था, आज उसी हत्यारोने गोविंद पानसरे पर हमला किया हैं. यह लोकतंत्र के लिए बहूत खतरनाक है.
ऑल इंडिया सेक्युलर फोरम के संयोजक एडवोकेट इऱफान इंजीनियर
ने फेसबुक पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा- “There is growing
lawlessness in Maharashtra. Communal elements have been emboldened by
indulgence of the present govt. and ideology of the ruling party. We demand
that the assailants of Narendra Dabholkar and Govind Pansare and his wife be
brought to justice.
Com.
Govind Pansare wrote books on Shivaji and propagated his ideals. That seems to
be unpalatable to his assailants who may be wanting to exploit Shivaji not as a
inclusive and just ruler but to promote disharmony in the name of Shivaji.”
इस निषेध सभा मे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी, मुस्लिम सत्यशोधक मंडल, लोकायत, युवक क्रांती दल, बहुजन मुलनिवासी संघ, हमाल पंचायत, आदि संघठन तथा विविध महाविद्यालयो के छात्र-छात्राए बडी संख्या मे शामील थे.
महाराष्ट्र के गृह मंत्री राम शिंदे ने घटना की निंदा करते हुए कहा
कि दोषियों की धरपकड़ के लिए राज्य में सभी मार्गों को बंद करने का आदेश दिया गया
है.
सवाल यह भी खडा हुआ हैं कि, गोविंद पानसरे और उनकी पत्नी पर जानलेवा हमला और अंधविश्वास के खिलाफ जंग
छेड़ने वाले पुणे के डॉ. नरेंद्र दाभोलकर मर्डर केस का आपस में कोई संबंध है?
दाभोलकर ने लगातार अंधविश्वास विरोधी बिल पास करने का दबाव सरकार पर
बना रहे थे. गोविंद पानसरे भी एक तर्कवादी के तौर पर जाने जाते हैं. नरेंद्र
दाभोलकर की हत्या के बाद उन्होंने राज्य सरकार पर अंधविश्वास विरोधी बिल पास करने
का दबाव बनाया था. उन्होंने महाराष्ट्र
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्यकर्ताओं से दाभोलकर के मिशन को आक्रामक तरीके
से आगे बढ़ाने को कहा था.
दाभोलकर ही हत्या 20 अगस्त 2014 में हुई थी. कुछ बाइक सवार लोगों ने उन पर गोलियां चलाकर भाग निकले थे, हमलावरों ने अपनी काले रंग की बाइक शनिवारपेठ पुलिस चौकी के बाहर खड़ी की और फिर पैदल चलकर महर्षी रामजी शिंदे पुल पर नरेंद्र दाभोलकर के पास गए और हमालावरो ने दाभोलकर पर पीछे से 4 राउंड गोलियां चलाईं, इनमें से दो गोलियां डॉ. दाभोलकर के गले में लगीं थी. कॉम्रेड पर भी इसी तरह गोलिया चलाई गयी है.
विदित हो की, पाँच दिन पूर्व कॉमरेड गोविंद पानसरे एक सन्मान समारोह मे शामिल होने पुणे आये थे. और दो दिन पहले मैंने मराठवाडा मित्र मंडल संस्था द्वारा उन्हे 19 फरवरी को ‘शिवजयंती कार्यक्रम’ के लिए ‘मुस्लिमो का शिवाजी’ विषय पर अपने विचार रखने आमंत्रित किया था, उन्होने यह कहते हुए इनकार किया था की, पार्टी की 20 फरवरी को मीटींग है, इसलिए मै नही आ सकता. पर उन्होने इस महिने के आखिर मे आने का कबुल किया था. अफसोस के उनके साथ यह हादसा हुआ, हम उनके दिर्घआयु की कामना करते है.
कलीम अजीम, पुणे

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अपनी बात

- कलीम अजीम
- कहने को बहुत हैं, इसलिए बेजुबान नही रह रह सकता. लिखता हूँ क्योंकि वह मेरे अस्तित्व का सवाल बना हैं. अपनी बात मैं खुद नही रखुंगा तो कौन रखेगा? मायग्रेशन और युवाओ के सवाल मुझे अंदर से कचोटते हैं, इसलिए उन्हें बेजुबान होने से रोकता हूँ. मुस्लिमों कि समस्या मेरे मुझे अपना आईना लगती हैं, जिसे मैं रोज टुकडे बनते देखता हूँ. Contact : kalimazim2@gmail.com