“गर हो सके तो अब कोई शम्मा जलाईयेगा
इस दौरे सियासत का अंधेरा मिटाईयेगा”
आज सुबह दस बजे, जगह हडपसर स्थित गाडीतल (प्रमुख स्थानक)
का ब्रीज राष्ट्रीय एकात्मता समिती के नेतृत्व में मोहसीन शेख के हत्या के विरोध
मे शांतीमार्च आयोजन का दीन, सुबह से ही यहाँ
लोगो का जमावडा बढता जा रहा था. जमाते-इस्लामी, आयसा, एसएफआय जैसी छात्र संघटना और उनके प्रतिनिधी शहर की बसो से यहाँ जमा हो
रहे थे.
प्रोग्रेसिव्ह मुस्लिम फोरम, हैद्राबाद की जय भारत, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, पीएमटी युनियन, सफाई मजदूर युनियन, युवक क्रांती दल, महिला मोर्चा, लोकायत, दलित अधिकार समिती, मानवी हत्या विरोधी कृती तथा शहर के समाजवादी, प्रोगेसिव्ह मुव्हमेंट के सभी लोगो की भीड यहाँ नजर आ रही थी, सभीके हाथो मे बॅनर, फ्लेक्स नजर आ रहे थे. सुबह ठीक 10 बजकर 20 मिनट पर शांतीमार्च की शुरवात हुई.
पढे : मोहसिनच्या न्यायात अटकाव कुणाचा?
पढे : याकूब मेमन : सिलेक्टिव्ह न्याय और असुविधाजनक सत्य
प्रोग्रेसिव्ह मुस्लिम फोरम, हैद्राबाद की जय भारत, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, पीएमटी युनियन, सफाई मजदूर युनियन, युवक क्रांती दल, महिला मोर्चा, लोकायत, दलित अधिकार समिती, मानवी हत्या विरोधी कृती तथा शहर के समाजवादी, प्रोगेसिव्ह मुव्हमेंट के सभी लोगो की भीड यहाँ नजर आ रही थी, सभीके हाथो मे बॅनर, फ्लेक्स नजर आ रहे थे. सुबह ठीक 10 बजकर 20 मिनट पर शांतीमार्च की शुरवात हुई.
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बाबा आढाव के
नेतृत्व मे गाडीतल से निकलकर शांतीमार्च मुख्य रास्ते से होकर बिना शोर शराबे के
हाथो मे फ्लेक्स, पॉम्प्लेट लिए
गांधी चौक पहुंचा. सभी संघटना और उनके प्रतिनिधी मंडल ने यहाँ मोहसीन शेख को
श्रध्दांजली अर्पीत कर अपने विचार रखे, शुरवात लोकायत
वालो ने अपने देशभक्ती पर गीतो से की, मोहसीन शेख के
हत्या के जिम्मेदार सभी को उचीत सजा देकर पिछे छिपे संघटना और उनके हेतू की जांच
निष्प:क्ष होनी चाहिए. यही मांग सभी संघटनाओकी थी.
बाबा आढाव ने आज इंडियन एक्सप्रेस मे आई खबर के बारे पुष्टी वहाँ प्रत्यक्ष दंगलग्रस्त भागो मे काम कर चुके जावेद शेख से की गई, एक्सप्रेस के खबर के मुताबीक दंगो की वजह शिवाजी महाराज के पुतले पर पत्थरबाजी और वहाँ मुस्लिम लडको द्वारा हिंदू लडकी की छेडछाड थी. (भला इतने गर्म माहौल मे इस तरह की घटना भला कोई कर सकता है)
वहीं प्रत्यक्षदर्शी शेख जावेद ने इस बात को झुठा करार देते हुए कहते हैं, "हाँ उस समय कोई महापुरुष के प्रतिमा का अनादर नही किया गया. और ना ही यहाँ किसी मुस्लिम ने किसी हिंदू बहन से कोई छेडछाड नही की. यहाँ की “नावले बस्ती” की मस्जिद जलाई जा रही थी, ग्रंथो का अवमान किया जा रहा था. दर्जनो लोग यह सब कर रहे थे. हम यह देखकर भी कुछ नही कर पा रहे थे. मैंने दंगाई को रोकने के लिए पुलिस बल को इस मामले के जानकारी दी. पुलिस ने मुझे उचीत कारवाई का आश्वासन दिया. मैं मुस्लिम समुदाय के लोगो से शांती बनाये रखने के लिए अपील की और लोगो ने शांती बनाये रखी. तब तक दंगाई उग्र रुप धारण कर चुके थे."
बाबा आढाव ने आज इंडियन एक्सप्रेस मे आई खबर के बारे पुष्टी वहाँ प्रत्यक्ष दंगलग्रस्त भागो मे काम कर चुके जावेद शेख से की गई, एक्सप्रेस के खबर के मुताबीक दंगो की वजह शिवाजी महाराज के पुतले पर पत्थरबाजी और वहाँ मुस्लिम लडको द्वारा हिंदू लडकी की छेडछाड थी. (भला इतने गर्म माहौल मे इस तरह की घटना भला कोई कर सकता है)
वहीं प्रत्यक्षदर्शी शेख जावेद ने इस बात को झुठा करार देते हुए कहते हैं, "हाँ उस समय कोई महापुरुष के प्रतिमा का अनादर नही किया गया. और ना ही यहाँ किसी मुस्लिम ने किसी हिंदू बहन से कोई छेडछाड नही की. यहाँ की “नावले बस्ती” की मस्जिद जलाई जा रही थी, ग्रंथो का अवमान किया जा रहा था. दर्जनो लोग यह सब कर रहे थे. हम यह देखकर भी कुछ नही कर पा रहे थे. मैंने दंगाई को रोकने के लिए पुलिस बल को इस मामले के जानकारी दी. पुलिस ने मुझे उचीत कारवाई का आश्वासन दिया. मैं मुस्लिम समुदाय के लोगो से शांती बनाये रखने के लिए अपील की और लोगो ने शांती बनाये रखी. तब तक दंगाई उग्र रुप धारण कर चुके थे."
शमसुद्दीन
तांबोळी, शफी इनामदार, विठ्ठल सातव, कॉ. कुमार शिराळकर, अलका जोशी,अझाद शेख, मनिषा
गुप्ते, फरिदाबी. अभिजीत वैद्य, सुरेश खोपडे, बाबा आढाव, ने सांप्रदायिक ताकतो के खिलाफ अपनी बात रखी. इन्हे मुंहतोड जवाब देने के
लिए हिंदू-मुस्लिम को एक होकर अपनी ताकद दिखानी पडेगी. राष्ट्रवाद के नाम पर चल
रही गंदी सियासत के खिलाफ हमे एकजुट
होना है. हिंदुत्ववादी ताकतो के खिलाफ सब को एक होकर लडाई लडनी है. आंईदा इस तरह की घटनाए नहो
इसलिए हमे प्रयासरत रहना चाहिए.
शांतीमार्च में
समाजसेवी, विचारवंत, लेखक, साहित्यिक तथा स्वंयसेवी संस्था, छात्र संघटना, पत्रकार, फ़िल्म शाखाए तथा मजदूर यूनियन के प्रतिनीधी का उपस्थित थे.
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अपनी बात
- कलीम अजीम
- कहने को बहुत हैं, इसलिए बेजुबान नही रह रह सकता. लिखता हूँ क्योंकि वह मेरे अस्तित्व का सवाल बना हैं. अपनी बात मैं खुद नही रखुंगा तो कौन रखेगा? मायग्रेशन और युवाओ के सवाल मुझे अंदर से कचोटते हैं, इसलिए उन्हें बेजुबान होने से रोकता हूँ. मुस्लिमों कि समस्या मेरे मुझे अपना आईना लगती हैं, जिसे मैं रोज टुकडे बनते देखता हूँ. Contact : kalimazim2@gmail.com