
दूसरी ओर गुजरात के अहमदाबाद में एक मासूम बच्ची के मौत को लेकर नफरत कि सियासत चरम पर हैं. मेघनीनगर परिसर में कुछ स्थानीय गुंडों ने एक महिला को पीटा. इस हाथापाई में महिला के गोद में सो रही २० दिन कि नवजात बालिका जखमी होकर उसकी इस घटना को लेकर दूसरे तबके के लोग सांप्रदायिक माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैंं. इधर आरोपित हिंदू समुदाय से हैं तो, अलीगड के टप्पल में आरोपीत मुस्लिम समुदाय के हैंं. दोनों और सांप्रदायिक रंग देने की होड मची हैंं. यह कौनसी बात हैं की, धर्म को लेकर गुनाह का पैमाना नापा जा रहा हैं. क्या हमारी नैतिकता का स्तर इतना निचे गिर चुका हैं की हम रेप जैसे जघन्य अपराध को धर्म के आड छुपाना या उजागर करना चाहते हैं.
खैर
तुलना के बारे में भी क्या कहे, जो सोशल मीडिया के सहुलत के बदौलत अभिव्यक्त होती
हैं. इसे अभिव्यक्ति या इन्साफ की पुकार नही बल्की धर्म का तराजू कहेंगे. जो कहेता
हैं तुम्हारे लोग हमारे लोगों से कई ज्यादा हिंसक और क्रूर हैं. या हमारे लोग तूम
जैसे हिंसक नही हैं.
अलीगड
के खबर को लेकर ५ जून को की स्थानीय पुलिस ने स्पष्ट कर दिया था कि, यह मामला पैसो
के लेन-देन को लेकर हैं. जिसमे दुष्कर्म जैसे कोई घटना नही हुई हैं. इंडियन
एक्सप्रेस ने स्थानीय पुलिस का कोट देकर बयान प्रकाशित किया हैं.
मतलब
पुलिस ने बच्ची के साथ दुष्कर्म के आशंका को दरकिनार कर दिया हैं. उसी तरह असीड
अटैक के अटकलो को भी खारीज किया हैं. खबर में पुलिस ने आगे कहा हैं की, इस घटना को
लेकर सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक माहौल न बनाये, झूठी खबरे फैलाकर लोगो को गुमराह
न करे. अलीगड पुलिस ने यह खबर अपने ट्विटर हैंडल से भी मीडिया तथा पीएमओ, सामाजिक
कार्यकर्ता तथा वरीष्ठ अधिकारीयोंंको भी दी हैं. साथ ही वातावरण बिगाडने के कोशीशो
को रोकने की अपील भी की हैं. कई लोगो नें इस ट्वीट को रिट्विट किया हैं. जिसमें
पत्रकार और नेतागण भी हैं.
अलीगड
पुलिस नें अपने बयान में साफ कहा हैं की, बच्ची को ३० मई को ही जब उसका अपहरण हुआ
था उसी दिन मार कर उसे कचरे में फेक दिया गया था, तीन दिन के अनदेखी के बाद लाश सड
गई. पुलिस का मानना यह भी हैं की, लाश सडने के वजह से इसके अवयवो को जानवरो ने
नोंचा होंगा. जबकी बीबीसी की विनित खरे की ग्राऊंड रिपोर्ट यह बताती हैं कि बच्ची
के लाश को कुत्ते घसीटकर ले जा रहे थे.
मामला
साफ होने के बावजूद उसे सांप्रदायिक रंग देकर नफरत की राजनितिक रौटीयाँ सेंकी जा
रही हैं. ट्विंकल नामक (बच्ची का नाम इसलिए दे रहे हैं की अब उसकी मृत्यू हो चुकी
हैं.) “बच्ची के साथ दुष्कर्म पर सरकारविरोधी
बुद्धिजिवी चूप क्यो हैं” इस तरह के मेसेज से वह लोग भी अपनी
फेसबुक वॉल पर अपराधीयोंको कडी सजा दिलाने की हिमायत कर रहे हैं. उनका लिखना डर के
मारे हैं. कही वह भी सांप्रदायिक ताकतो से ट्रोल न हो जाए. क्योंकि वह अपने आप को
बचाने के लिए ट्विंकल के लिए लिख रहे हैं या बोल रहे हैं. विषेशत: मुस्लिम समुदाय के लोग ट्विंकल को लेकर लिख रहे हैं.
इन जैसे
पोस्ट को देखकर मुझे भी लगा की मैं भी चार लाईने लिखकर अपने जिम्मेदारी से पुरी कर
लूँ. पर मन नही माना. क्योंकि लोगो के तसल्ली के लिए लिखना या ट्रोलरो भय से
छुटकारा पाने के लिए लिखना मुझ रास नही आता. इसलिए लंबीचौडी ब्लॉग पोस्ट लिख रहा
हूँ. सोशल मीडिया पर 'जस्टिस ऑर ट्विंकल' को लेकर हैशटैग चल रहा हैं. कई गणमान्य लोग
इसे फॉलो करते हुए आगे चल रहे हैं. गोदी मीडिय़ा के एंकर को लेकर तो क्या कहे. जो लोग
वायूसेना के विमान को लेकर एक दो लाईनो की भी खबर नही पढ सके कह इन्साफ कब मिलेंगा? कहकर
प्राइमटाइम शो कर करे हैं.
वायुसेना का कहना है कि यह विमान ने ३ जून को दोपहर १२
सच
माने तो उन्हे सवाल स्थानीय सरकार सें पुछना चाहिए जो मामुली अपराधीयों का एन्काउन्टर कर उन्हे जान से मार देती हैं। उन्हे सवाल योगी सरकार से पुछना चाहिए जिनका समर्थक केहता हैं, मुस्लिम महिला अगर मर चुकी है तो उसे कबर से निकालकर उससे बलात्कार करें. उन्हे सवाल उन लोगों को पूछना चाहिए जिन्होंने बलात्कारियों को बचाने के लिए मोर्चे निकाले हैं. सवाल तो मीडिया को केंद्रीय सरकार से पूछना चाहिए जिन्होंने कहा था बेटी पढ़ाओ बेटी पढ़ाओ उन्हीं के पिछे विधायक गण और नेता गण महिलाओं के साथ अभद्रता के व्यवहार में लिप्त पाए गये हैं. पर अफ़सोस मीडिया सत्ता पक्ष को सवाल नहीं पूछे ना ही लोग इसकी जवाबदेही से मांगेंगे.
यह मीडियावाले लोग जनता से यह सवाल पुछ
कोई
भी संगीन गुनाह इसी प्रक्रिया के तहत सजा के नतीजे पर पहुँचता हैं. फिर क्यो यह लोग
बुधवार
५ जून को उन्नाव के बीजेपी सांसद साक्षी महाराज नें रेप के आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप
सिंह सेंगर से मुलाकात कि हैं. सीतापुर
जेल पहुंचकर साक्षी महाराज ने कहा कि, “मैं यहां कुलदीप सेंगर से मिलने और चुनाव बाद उनका
शुक्रिया अदा करने आया हूँ.” बता दें कि पीड़ित लड़की के बार-बार गुहार लगाने के बावजूद
सेंगर बेखौफ घूम रहा था. गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी बीजेपी विधायक सेंगर
को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि आरोपी की हिरासत काफी नहीं
है उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए. इस टिप्पणी
के बाद ही आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार किया गया था.
सरकार इस केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चला रही हैंं. कुछ दिनों में आरोपीत को फांसी पर भी चढा दिये जाएंगे. पर क्या उस मासूम बच्ची को इंसाफ मिलेगा? गुनाह तो हमारी नजरों में हमारे दिमाग में भरा में उसे कैसे निकाल पाओगे?
शुक्र है, इन आरोपी के बचाव में किसी ने मोर्चा नहीं निकाला ना किसी ने वकीलों के साथ कोर्ट परिसर में हाथापाई की हैंं. यह वही मेरा देश है जिस में पहली बार बीजेपी समर्थक लोग रेप के आरोपी
के बचाव में सडको पर उतर आये थे. इस घटना के साथ हमारा भारत इतिहास में एक नायाब नमूना
बनकर रह गया हैं. जिसकी कई विदेशी मीडिय़ा नें मखौल उडाया.
ट्विंकल के इन्साफ को
लेकर किसी को भी दो राय होने की जरूरत नही है. रेप के आरोपीयोंंको कडी सजा के
प्रावधान के लिए आम लोगो के बीच से आवाज कई सालो से आ रही हैं. २०१३ को दिल्ली के
निर्भया रेप कांड के बाद से लोगों का गुस्सा काफी बढा हैं. तब जाकर मनमोहन सरकार
ने रेप जैसे जघन्य अपराध की व्याख्या भी बदली हैं.
टिप्पल के बच्ची को लेकर कोई भी अपराधीयो के साथ हमदर्द
नही हैं. जैसा उन्नाव और कठुआ में हुआ था. इस घटना का समर्थन करने वाले भी
गिने-चुने लोग थें. पर बहुसंख्य लोगो का मानना है की रेप के आरोपीयो के साथ कडी
सजा हो. टिप्पल के जाहीद और आसिफ के साथ भी सक्ती से पेश आना चाहीए. पर जो लोग
धर्म के आड में सियासत चमका रहे हैं, उनका रवैय्या गलत हैं.
मोदी और बीजेपी के समर्थक (उन्होने अपने आप खुद ही मोदी
का चमचा कहां था) कहे जाने वाले अभिनेता अनुपम खेर नें ट्विटर पर ‘जस्टिस फॉर...’ मुहिम शुरू की हैं. कुछ
लोगों ने उन्हे सवाल करते हुए कहां है की, “सरकार भी तुम्हारी, राष्ट्रपति भी तुम्हारा, सीएम भी
तुम्हारा, सांसद भी तुम्हारा, विधायक भी तुम्हारा, पुलिस भी तुम्हारी, फिर इन्साफ
क्या नेपाल से माँग रहे हो.”
लोगों द्वारा कम्यूनल एंकर कहे जाने वाले रोहित सरदाना नें
७ जून को
खैर, तरह-तरह के आर्ग्युमेंट तो चलते रहेंगे. बीजेपी के दुसरे
शासन काल में इस तरह की
कलीम
अजीम, पुणे

वाचनीय
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अपनी बात

- कलीम अजीम
- कहने को बहुत हैं, इसलिए बेजुबान नही रह रह सकता. लिखता हूँ क्योंकि वह मेरे अस्तित्व का सवाल बना हैं. अपनी बात मैं खुद नही रखुंगा तो कौन रखेगा? मायग्रेशन और युवाओ के सवाल मुझे अंदर से कचोटते हैं, इसलिए उन्हें बेजुबान होने से रोकता हूँ. मुस्लिमों कि समस्या मेरे मुझे अपना आईना लगती हैं, जिसे मैं रोज टुकडे बनते देखता हूँ. Contact : kalimazim2@gmail.com