अलीगड मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बीते पाच सांल में कई बार विवाद पैदा करने कि कई कोशीश की गई है. वैसे देखा जाए तो बीचे 70 सालो में कई बार अलीगड विश्वविद्यालय को निशाना बनाया गया हैं. पर हर बार विरोधीयो को मुह की खानी पडी हैं.
आझादी के बाद अलीगड दक्षिणपंथी संघठनो के आँखो की किरकिरी बन कर उभरा हैं. मुसलमानो को शिक्षा का अधिकार ठुकराने वाली इस निती नें तरह-तरह से अलीगड को दुश्मन की नजर से देखा हैं.
2014 के सत्तांतर के बाद से इस शत्रुता की आहट बढने का डर था, सो वही हुआ. सत्तापक्ष और उसके चाहनेवाले इस फिराक में बैटे थे कि कब अलीगडपर हमला किया जा सकता है. इसी बीच बीजेपी सरकारने विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यांक का दर्जा देने पर आपत्ती जताते हुये मामला सुप्रीम कोर्ट मे ले गई.
बाद इसके लडकियो के रिडिंग हॉल के सुविधा को लेकर हो हल्ला मचाया गया. पुरे दो हफ्ते तक यह खबर गोदी मीडिया पर छाई रही. इस तरह का नियम देश के कई विश्वविद्यालयो में हैं पर वहा चुप्पी साधी गई.
बीते नवम्बर (2018) यूनिवर्सिटी में लेखक असगर वजाहत के भारत-पाकिस्तान विभाजन पर आधारित नाटक 'जिन लाहौर नी वेख्या' का मंचन होना था. इसमें काश्मीर के नक्शे को लेकर स्थानीय भाजपाईयोनें विवाद खडा किया
पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद नें एक दिन इसी विश्वविद्यालय में कहा कि, "हा, काँग्रेस के हाथ मुसलमानो के खून से रंगे हैं." इसपर काफी विवाद हुआ, पर खुर्शीद अपनी बात पर अडे रहे.
सत्तापक्ष के गुंडो ने जिन्ना के तस्वीर को लेकर हंगामा मचाया, असल में इन लोगो को अलीगड में पूर्व उपराष्ट्रपति हामीद अन्सारी पर हमला करना था, क्योंकि कुछ दिन पहले अपने राज्यसभा के विदाई पर उन्होने मोदी सरकार कि आलोचना कर दी थी. जिससे बीजेपी के लोग और ट्रोलर उनसे नाराज थे. इस मामले के जिना के तस्वीर से जोडकर देखा गया. अलीगड के छात्रो ने इस हमले का तिखा विरोध किया. कई हफ्ते पढाई में खलल पैदा हुआ. जिन्ना की तस्वीर यहां वर्ष 1938 से है. खबरो कि माने तो वही तस्वीर मुंबई हाईकोर्ट और साबरमती आश्रम समेत देश के अन्य कई जगहों पर भी जिना की तस्वीर लगी है, लेकिन अभी तक किसी ने इसकी किसीको चिंता नहीं की. इस विवाद के चलते विश्वविद्यालय मे कई दिनो तक इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी गई थी.
इसी साल फरवरी में अलीगड #AMU को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई को लेकर फिर से हो हल्ला मचाया गया. यह मामला थमते ही. इसी महिने (फरवरी) महिने में विश्वविद्यालय में सांसद असदुद्दीन ओवैसी का भाषण को रोका गया. #AMU छात्रसंघ द्वारा कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की बैठक बुलाई थी. इस कार्यक्रम में ओवैसी को भी आमंत्रित किया गया था. बैठक में आनेवाले लोकसभा चुनावो में हिस्सेदारी के लिए विचार विमर्श किया जाना था. जिसे एएमयू छात्र के एक संघी छात्र नेता नें विरोध जताया. स्थानीय छात्रो कि माने तो मीडिया पब्लिसिटी स्टंट के लिए उसने यह सब किया था. उसने ही रिपब्लिक टीवी को वहाँ बुलाया था, जिसके एक महिला पत्रकारनें लाईव्ह रिपोर्टिंग में अलीगड के छात्रो को आतंकवादी कह दिया था. जिससे गुस्साये AMU छात्रो नें उस रिपोर्टर का कैमरा तोड डाला था. इस विवाद के फौरी बाद उस संघी छात्र नेता नें यूनिवर्सिटी कैंपस में तिरंगा यात्रा निकाली थी. इस यात्रा से उसने यह जताने की कोशीश की थी की हां मै भी बीजेपी का ट्रोलर हूँ.
अभी कुछ दिन पहले मारुफ पत्रकार आरफा खानम को एक कार्यक्रम में अलीगड में अपनी बात रखनी थी. पर इस बार उन्हे मुसंघी गुंडो ने ट्रोल किया. दरअसल उन्होने होली पर सुफी फकीर बुल्लेशाह के होली खेलू कह बिसमिल्लाह सेर के साथ होली की मुबारकबाद अपने ट्वटर हँडल से दी था. जिसका कई लोगो नें विरोध कर उन्हे विश्वविद्यालय आने से रोका था.
बीजेपी के सत्ताकाल में हर बार शैक्षाणिक संस्थानो को निशाना बनाया गया हैं. दक्षिणपंथविरोधी औऱ सरकार को सवाल पुछने वाले छात्रो को सबसे पहले निशाना बनाया गया हैं. जिसे सरकार और बीजेपी नें राष्ट्र्वाद से जोडकर देखा हैं.
आझादी के बाद अलीगड दक्षिणपंथी संघठनो के आँखो की किरकिरी बन कर उभरा हैं. मुसलमानो को शिक्षा का अधिकार ठुकराने वाली इस निती नें तरह-तरह से अलीगड को दुश्मन की नजर से देखा हैं.
2014 के सत्तांतर के बाद से इस शत्रुता की आहट बढने का डर था, सो वही हुआ. सत्तापक्ष और उसके चाहनेवाले इस फिराक में बैटे थे कि कब अलीगडपर हमला किया जा सकता है. इसी बीच बीजेपी सरकारने विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यांक का दर्जा देने पर आपत्ती जताते हुये मामला सुप्रीम कोर्ट मे ले गई.
बाद इसके लडकियो के रिडिंग हॉल के सुविधा को लेकर हो हल्ला मचाया गया. पुरे दो हफ्ते तक यह खबर गोदी मीडिया पर छाई रही. इस तरह का नियम देश के कई विश्वविद्यालयो में हैं पर वहा चुप्पी साधी गई.
बीते नवम्बर (2018) यूनिवर्सिटी में लेखक असगर वजाहत के भारत-पाकिस्तान विभाजन पर आधारित नाटक 'जिन लाहौर नी वेख्या' का मंचन होना था. इसमें काश्मीर के नक्शे को लेकर स्थानीय भाजपाईयोनें विवाद खडा किया
पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद नें एक दिन इसी विश्वविद्यालय में कहा कि, "हा, काँग्रेस के हाथ मुसलमानो के खून से रंगे हैं." इसपर काफी विवाद हुआ, पर खुर्शीद अपनी बात पर अडे रहे.
सत्तापक्ष के गुंडो ने जिन्ना के तस्वीर को लेकर हंगामा मचाया, असल में इन लोगो को अलीगड में पूर्व उपराष्ट्रपति हामीद अन्सारी पर हमला करना था, क्योंकि कुछ दिन पहले अपने राज्यसभा के विदाई पर उन्होने मोदी सरकार कि आलोचना कर दी थी. जिससे बीजेपी के लोग और ट्रोलर उनसे नाराज थे. इस मामले के जिना के तस्वीर से जोडकर देखा गया. अलीगड के छात्रो ने इस हमले का तिखा विरोध किया. कई हफ्ते पढाई में खलल पैदा हुआ. जिन्ना की तस्वीर यहां वर्ष 1938 से है. खबरो कि माने तो वही तस्वीर मुंबई हाईकोर्ट और साबरमती आश्रम समेत देश के अन्य कई जगहों पर भी जिना की तस्वीर लगी है, लेकिन अभी तक किसी ने इसकी किसीको चिंता नहीं की. इस विवाद के चलते विश्वविद्यालय मे कई दिनो तक इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी गई थी.
इसी साल फरवरी में अलीगड #AMU को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई को लेकर फिर से हो हल्ला मचाया गया. यह मामला थमते ही. इसी महिने (फरवरी) महिने में विश्वविद्यालय में सांसद असदुद्दीन ओवैसी का भाषण को रोका गया. #AMU छात्रसंघ द्वारा कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की बैठक बुलाई थी. इस कार्यक्रम में ओवैसी को भी आमंत्रित किया गया था. बैठक में आनेवाले लोकसभा चुनावो में हिस्सेदारी के लिए विचार विमर्श किया जाना था. जिसे एएमयू छात्र के एक संघी छात्र नेता नें विरोध जताया. स्थानीय छात्रो कि माने तो मीडिया पब्लिसिटी स्टंट के लिए उसने यह सब किया था. उसने ही रिपब्लिक टीवी को वहाँ बुलाया था, जिसके एक महिला पत्रकारनें लाईव्ह रिपोर्टिंग में अलीगड के छात्रो को आतंकवादी कह दिया था. जिससे गुस्साये AMU छात्रो नें उस रिपोर्टर का कैमरा तोड डाला था. इस विवाद के फौरी बाद उस संघी छात्र नेता नें यूनिवर्सिटी कैंपस में तिरंगा यात्रा निकाली थी. इस यात्रा से उसने यह जताने की कोशीश की थी की हां मै भी बीजेपी का ट्रोलर हूँ.
अभी कुछ दिन पहले मारुफ पत्रकार आरफा खानम को एक कार्यक्रम में अलीगड में अपनी बात रखनी थी. पर इस बार उन्हे मुसंघी गुंडो ने ट्रोल किया. दरअसल उन्होने होली पर सुफी फकीर बुल्लेशाह के होली खेलू कह बिसमिल्लाह सेर के साथ होली की मुबारकबाद अपने ट्वटर हँडल से दी था. जिसका कई लोगो नें विरोध कर उन्हे विश्वविद्यालय आने से रोका था.
बीजेपी के सत्ताकाल में हर बार शैक्षाणिक संस्थानो को निशाना बनाया गया हैं. दक्षिणपंथविरोधी औऱ सरकार को सवाल पुछने वाले छात्रो को सबसे पहले निशाना बनाया गया हैं. जिसे सरकार और बीजेपी नें राष्ट्र्वाद से जोडकर देखा हैं.

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अपनी बात

- कलीम अजीम
- कहने को बहुत हैं, इसलिए बेजुबान नही रह रह सकता. लिखता हूँ क्योंकि वह मेरे अस्तित्व का सवाल बना हैं. अपनी बात मैं खुद नही रखुंगा तो कौन रखेगा? मायग्रेशन और युवाओ के सवाल मुझे अंदर से कचोटते हैं, इसलिए उन्हें बेजुबान होने से रोकता हूँ. मुस्लिमों कि समस्या मेरे मुझे अपना आईना लगती हैं, जिसे मैं रोज टुकडे बनते देखता हूँ. Contact : kalimazim2@gmail.com