मॉब लिंचिग पर मानव
सुरक्षा कानून लगाने की माँग कर चर्चा में आये शहजाद पुनावाला इन दिनो काँग्रेस के
वरीष्ठ नेताओंके निशाने पर हैं। शहजाद ने राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष के
ताजपोशी का विरोध किया हैं। वे कहते हैं, ‘पार्टी के पास कई
वरीष्ठ और अनुभवी लीडर हैं फिर राहुल गांधी को अध्यक्ष क्यो बनाया जा रहा हैं, राहुल
इलेक्शन पद्धती से नही बल्की सिलेक्शन पद्धती से अध्यक्ष बनने जा रहे हैं, इसलिए मैं इस
चयन का विरोध कर रहा हूँ ।’ शहजाद नें अध्यक्ष के चयन प्रक्रीया को
धांदली बताया हैं। उन्होने दावा किया हैं कि, ‘पार्टी
अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में वोट डालने वाले प्रतिनिधियों के नाम तय किए जा चुके
हैं। इन्हें इनकी वफादारी के आधार पर इस सूची में शामिल किया गया है।’
शहजाद महाराष्ट्र
प्रदेश काँग्रेस कमिटी के सेक्रेटरी हैं। जबकि महाराष्ट्र के काँग्रेस कमिटी के
प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण शहजाद को काँग्रेसी नही मानते। चव्हाण का मानना हैं कि
शहजाद राहुल को बदनाम करने के लिए पब्लिसिटी स्टंट कर रहे अशोक चव्हाण के आरोपों
का जवाब ट्विटर से दिया हैं। जबकी शहजाद ने अजय माकन के दस्तखत वाला नियुक्ती पत्र
ट्विटर पर अपलोड कर चव्हाण के आरोपों को खारीज किया हैं। यह मामला यहाँ थमने का
नाम नही ले रहा हैं, कई काँग्रेसी नेता ट्विटर पर शहजाद के खिलाफ
बयानबाजी कर रहे हैं । पूर्व गृहमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री
सुशीलकुमार शिंदे ने राहुल विरोध पर शहजाद को आडे हाथ लेते हुये कहां हैं, आप भी
काँग्रेस अध्यक्षपद का नामांकन भर सकते हैं। पर एक धडा ऐसा भी हैं जो शहजाद को खुले
तौर पर तो नही पर छुपा समर्थन दे रहा हैं।
शायद पहली बार किसी
कम अनुभवी नेता ने खुलकर गांधी घराने पर परिवारवाद का आरोप लगाया हैं। और बचे
वरीष्ठ गांधी परिवार के भक्त मंडली विरोधी को आडे हाथ लेते नजर आ रहे हैं । शहजाद
के गृहनगर महाराष्ट्र में उनका विरोध किया जा रहा हैं। इससे महाराष्ट्र काँग्रेस
के खेमे में हलचले पैदा हुई हैं। उनके भाई और प्रियांका गांधी के रिश्तेदार तहसीन
पुनावाला काँग्रेस के मान्यवर नेता हैं। गौरतलब हैं कि तहसीन पुनावाला ने शहजाद के
आरोपों से खुदको अलग कर लिया हैं। गौरतलब है कि शहजाद निजी पत्रव्यवहार को पब्लिक
करना एक षडयंत्र का हिस्सा मानते हैं, शहजाद कहते हैं कि पार्टी में बढते वंशवाद
पर बात करने के लिए पिछले कई सालों से समय माँग रहा हूँ, पर मुझे समय नही दिया जा
रहा हैं, ऐसे मैं मैंने परिवारवाद की शिकायत स्वरुप पत्र लिखा जो किसीने सार्वजनिक
किया हैं। जबकी राजकीय
विश्लेषक इस पत्रों को पब्लिक करने पर राहुल विरोधीयों की चाल बताते हैं।
राहुल के काँग्रेस
अध्यक्ष पद के नियुक्ती का विरोध पहली बार किसीने किया हैं। 2013 में जब वह
पार्टी के उपाध्यक्ष बने थे तब पार्टी के वरीष्ठ नेता नाराज बताये जा रहे थे। पर
किसीने खुलकर काँग्रेस के नीतियोंका विरोध नही किया, कुछ दिन पहले
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पीएम न बनने की नाराजगी खुलकर जाहीर की थी। प्रणव मुखर्जी ने कहा था कि, ‘अमरिका से परमाणू समझौते के समय सरकार अल्पमत
में आ गई थी,
तब
मैंने पीएम बनने का अनुरोध किया था, पर मेरी इच्छा
पार्टी के प्रमुखों ने दरकिनार कर मनमोहन को पीएम बने रहने दिया।’
इससे पहले काँग्रेस
के दो वरीष्ठ नेता एसएम कृष्णा और एनडी तिवारी ने पार्टी छोड बीजेपी का सदस्यत्व
स्वीकारा था। बाद में इन्होने गांधी घराने पर वंशवाद का आरोप लगाया था। अब फिर एक
बार काँग्रेस पर गांधी घराने पर वंशवाद का आरोप लगा हैं। इससे पहले 1998
में सोनिया गांधी के अध्यक्ष पद के निर्वाचन पर भी विवाद हुआ था, पर किसीने भी
खुलकर बोलने से परहेज किया था। पर महाराष्ट्र के कद्दावार नेता शरद पवार की
नाराजगी सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष बनने के एक साल बाद नजर आई। 1999 में शरद
पवार ने विदेशी नागरिकता के मुद्दे पर सोनिया और काँग्रेस का साथ छोडा था।
ज्ञात रहे की 2004 के आम चुनाव
में सोनिया गांधी पर विदेशी होने का आरोप और काँग्रेस पर वंशवाद को बढावा देने का
लेबल लगा चुके थें काँग्रेसी नेता उठा चुँके थें। 1999 में इसी
मुद्दे पर वरीष्ठ काँग्रेसी नेता शरद पवार को पार्टी से निकाला गया था। बाद में
शरद पवार ने ‘राष्ट्रवादी
काँग्रेस’ एनसीपी नामक अपनी अलग पार्टी बनाई थी, 2004 में वह काँग्रेस के खिलाफ लडे थें और
चुनाव के बाद काँग्रेस से गठबंधन किया था। 2004 में कई काँग्रेसी नेता ने बगावत का झंडा उठाया था। इन दिनो सिटों के
बँटवारे को लेकर वरीष्ठ बगावती हो गये थें। 2009 में भी इसी तरह काँग्रेस में बगावत हुई थी तब भी कई वरीष्ठ नेता पार्टी से
बाहर कर दिये गये थें। शायद
इसी वजह से 2009 के बाद किसीने
खुलकर गांधी परिवार का विरोध नही किया।
राहुल गांधी
निर्वाचित प्रक्रिया से गुजर कर अध्यक्ष हो, ऐसी मांगे
शहजाद कर रहे हैं। ‘यह निर्वाचन नही बल्की चयन हैं, पार्टी के
पास कई वरीष्ठ नेता हैं, फिर राहुल अध्यक्ष कैसी बन सकते हैं’
इस तरह का सवाल शहजाद ने किया हैं। शहजाद ने पार्टी वंशवाद के खिलाफ
मोर्चा खोला हैं, शहजाद आरोप लगाते
हैं, ‘पार्टी मे
कुल
48 फिसदी
सीटे वरीष्ठ नेता के घरवालो को मिली हैं। इसलिए एक घर एक सीट का फॉर्म्युला पार्टी
मे होना चाहीए।’
शहजाद राहुल पर
वादाखिलाफी का आरोप लगाते हैं। इसके अलावा शहजाद ने राहुल गांधी के उपाध्यक्ष पद
के चयन प्रक्रीया पर भी सवाल उठाये हैं। उन्होने दावा किया कि ‘2013
में
जब राहुल उपाध्यक्ष बने तब उन्होने कहां था कि एनएसयूआई में नये लोंगो को अवसर
देंगे,
नये
लोगों को पार्टी में उचित जगह देंगे, पर राहुल ने अपना
वादा निभाया नही।’
गौरतलब हैं कि शहजाद
ने विद्रोह की दुकान तब खोली हैं जब भाजपा सांसद वरुण गांधी काँग्रेस में शामील
होने की चर्चा चल रही हैं। वरुण बीजेपी से नाराज बताये जा रहे हैं, जबकी उनके
माँ मेनका ने अभी इसपर कुछ नही कहां हैं। वरुण काँग्रेस के पूर्व मंत्री संजय
गांधी के पुत्र हैं, याने राहुल के चचेरे भाई। वरुण के काँग्रेस
में शामील होने अटकलों पर काँग्रेस के कई वरीष्ठ नेता के गूट में हडकंप मचा हैं।
कई काँग्रेसी नेता मानते हैं कि, वरुण और राहुल 2019 के स्टार
प्रचारक के रुप में आगे आ सकते हैं और उनका भविष्य अधर मे आ सकता हैं। शहजाद की
युवराज के खिलाफ बगावत इसी के मद्देनजर देखी जा रही हैं।
शहजाद पूनावाला ने
बुधवार को एक निजी चॅनल पर राहुल गांधी के अध्यक्ष पद के चयन को लेकर सवाल उठाए
थें। शहजाद पूनावाला के मुताबिक अगर सही से चुनाव कराया जाए तो वे भी पार्टी
अध्यक्ष पद के चुनाव में उतर सकते है। उन्होंने कहा है कि ‘तय
प्रतिनिधियों के बजाए निर्वाचित प्रतिनिधियों के वोट के आधार पर पार्टी अध्यक्ष का
चुनाव करें। इसके लिए उन्हें पार्टी के उपाध्यक्ष पद से भी इस्तीफा देना होगा, क्योंकि
उन्हें यह पद चुनाव से नहीं, बल्कि चयन से मिला था।’
एक कहावत हैं कि ‘समुंदर में
रहकर मगरमच्छ से बैर नही करते’ इसी निती पर कई काँग्रेसी नेता चलते
हैं, ‘काँग्रेस में रहना हैं तो गांधी परिवार का
विरोध मत करो,
अगर
करोंगे तो कही के नही रहोंगे’ यह कहावत दिल्ली मुंबई के काँग्रेसीयोंके
निजी बैठकों में कही जाती हैं। कुछ काँग्रेसी लोंग 2014 के आम चुनाव
के हार को राहुल को जिम्मेदार मानते हैं। इसपर राजकीय विश्लेषको की राय एकदम उलटी
हैं। विश्लेषक मानते हैं कि राहुल को वरीष्ठ काँग्रेसी पार्टी में नही चाहते, इसलिए
उन्होने ही उनकी प्रतिमा ‘पप्पू’ टाईप की हैं।
अब उन्हे सोनिया गांधी से फटकार मिलने के राहुल आझाद हो गये हैं, इसलिए ने
गुजरात में अच्छी तरह लोंगो से बात कर पा रहे हैं।
विश्लेषक को की माने
तो राहुल कैसे काँग्रेस के युवराज हो सकते हैं, यह प्रश्न का
उत्तर नही मिल पाता। पिछले सत्तर सालों से काँग्रेस गांधी घराने की विरासत के तौर
पर जानी जा रही हैं। सत्तापक्ष कई बार काँग्रेस के गांधी प्राईव्हेट लिमिटेड कह
चुँका हैं। उसी तरह पार्टी के कई वरीष्ठ और अनुभवी लीडर नाम न बताने के शर्त पर
कहते हैं कि सिनियॉरिटी के बावजूद उन्हे जानबुझकर सडाया गया हैं। गांधी घराने पर
लग रहे आरोप नये नही हैं। पूर्व पंतप्रधान इंदिरा गांधी की बहू और संजय गांधी की
पत्नी मेनका गांधी ने भी काँग्रेस को गांधी घराने की विरासत कहा था।
सच माने तो काँग्रेस
को नई प्रतिभा से परहेज हैं। पार्टी में अनेक वरीष्ठ नेता कई सालो
से पदो के आशा पर बैठे हैं, ऐसे में उन्हे लगता हैं कि नये युवा आकर उनके अवसर छिन
रहे हैं। पर गौर करें तो यही युवा नेता ने आम आदमी के जुबान में बात करना शुरु
किया हैं, वरना कई काँग्रसी नेता आज भी अंग्रेजी में बात करते हैं, यहा तक की
मनमोहन सिंग 10 साल प्रधानमंत्री रहे पर उन्होने कभी हिंदी में बात नही की, यही
वजह हैं कि समाज का एक बडा तबका काँग्रेस से दूर होता चला जा रहा हैं, कई लोग तो
यह भी मानते हैं कि काँग्रेस अप्पर क्लास की पार्टी हैं। यहाँ आम आदमी के हको की
बात नही होती। 2014 के बाद केवल बीजेपी विरोध के चलते कई युवा काँग्रेस के साथ
जुडे हैं। आज भी लाखो युवा काँग्रेस बीजेपी सरकार का विरोध कर प्रत्यक्ष और
अप्रत्यक्ष रुप से काँग्रेस का काम कर रहे हैं। ऐसे में काँग्रेस ने उन युवाओं को साथ लेकर चलने की नीति बनानी होंगी वरना यहाँ से
भी फ्रस्ट्रेड होकर युवा विरोधी गूटो में चले जाएंगे। शहजाद के आरोप एक वजह हैं
कि काँग्रेस अपने नीतियों में बदलाव करें।
कलीम अजीम
Twitter@kalimajeem

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- कलीम अजीम
- कहने को बहुत हैं, इसलिए बेजुबान नही रह रह सकता. लिखता हूँ क्योंकि वह मेरे अस्तित्व का सवाल बना हैं. अपनी बात मैं खुद नही रखुंगा तो कौन रखेगा? मायग्रेशन और युवाओ के सवाल मुझे अंदर से कचोटते हैं, इसलिए उन्हें बेजुबान होने से रोकता हूँ. मुस्लिमों कि समस्या मेरे मुझे अपना आईना लगती हैं, जिसे मैं रोज टुकडे बनते देखता हूँ. Contact : kalimazim2@gmail.com