बैचैन हूँ बिछड जाने के खबर से



दो साल पहले जब मैं पुणे आया तब मैंने कुछ सोचा नही था किफुल टाईम पत्रकारिता ही करुंगा. तीन साल पत्रकारिता की पढाई कर स्नातक की उपाधी धारण कर चुका थामुझे क्रियटिव्ह राईटिंगमे रुची थीबीस साल के उम्र मे मेरी पहली कथा ‘मजदुरी’ दिल्ली प्रेस की मैगझीन ‘सरस सलील’ मे प्रकाशीत हुई. मेरे कथा लिखने आरंभ सन 2002 से हुआ. 2008 तक मैंने कुल 27 कथाए लिखी. इसलिए मैने भारतीय फिल्म संस्थान (FTII) मे प्रवेश के लिए अर्जी (CET) दी थीदिल्ली स्थित क्राफ्ट (CRFT) और जामिया मे ऑनलाईन आवेदन किया थापर भैय्या के शादी (13 मई) होने के कारण मै प्रवेश परिक्षा के लिए  दिल्ली जा न सका.FTII की परिक्षा मे उचीत नंबरो का तालमेल मै नही जुटा पाया. मै मायुस थापुणे आने का मन बना चुका थाइसलिए पुणे विश्वविद्यालयके जनसंचार विभाग मे MJMC के लिए आवेदन किया और यहा पहुंच गया.
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विभाग के गेट अंदर कदम रखते हुए मुझेयह एहसास नही था की,यहाँ आने के बाद मेरी दुनिया बदल जायेगी. विभाग के इस हेरिटेज इमारत मे बहुत जादू है अच्छे-अच्छे को बदल देतीहै यह इमारत. यहा मुझे पत्रकारिता का महत्व समझ आयादबे-कुचले लोगो को हमारी बहुत जरुरत है. इसका शिद्दत से  यहाँ आने पर मुझे एहसास हुआ. विचारधारा क्या होती हैइसकी जरुरत क्या हैइझम क्या होते है इस सब के बारे मे मुझे यहाँ पता चलाऔरंगाबाद स्थित डा. बाबासाहब अंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकरिता विभाग के मेरे आदरणिय गुरुजी श्री जयदेव डोलेका मै आभारी हुंजिन्होने मुझे इस विभाग मे पत्रकारिता के स्टडी के लिए भेजावरना मै ना जाने आज कहां होता,और क्या सोचता.

उठके कपडे बदल,घर से बाहर निकल
      जो हुआ सो हुआ
रात के बाद दिनआज के बाद कल
      जो हुआ सो हुआ
निदा फाजली का यह शेर हम जैसे युवाओको नया हौसला प्रदान करता है. जो अपने देश और समाज के लिए कुछ करने का जज्बा रखते है. यही जज्बा आज मेरे मन मे उत्पन्न हुआ है. इसका सारा श्रेय मै इस विभाग के हर वो चिज को देना चाहुंगा जोमेरे इस बदलाव का कारण बनेयहाँ के अध्यापकगण तथा नॉन टिचींग स्टाफयहा आनेवाले हर वो व्हिजीटिंग फॅकल्टीके अध्यापक जिसमे मा. श्री. अजित अभ्यंकरश्री. विनय हार्डीकरश्री समर नखाते तथा अन्य लोग जिन्होने हमे नयी दिशा और दृष्टी दी उनका मै अभारी हुं. विभाग के कैंटीन को मै ज्यादा धन्यवाद देना चाहुंगा जहाँ हमने क्लासरुम से ज्यादा समय बिताया. यहाँ घंटो होनेवाली सामाजिकराजकीय विषयो पर की गई चर्चाए हमारे दिनक्रम का हिस्सा बन चुकी थी. हम छुट्टी के दिन भी सारा समय यही विभाग बिताते. यहाँ हमे एक अदभुत आनंद प्राप्त होता है. यहाँ आनेवाला हर वो बंदा इस जगह के प्यार मे पड जाता है.
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जिंदगी ने समझा तो खुशीयॉ
नही तो गम का दरिया है
दुख और सुख कुछ भी नही है
अपनाअपना  नजरिया है.
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विभाग का यह परिसर एक मोहमाया है. यहाँ आनेवाला हर एक कोई विचारधारा और अपनी क्षेत्रीय अस्मिता लेकर आता है. तो कोई सिर्फ मीडिया की मोहमाया मे फंसकर आता है. कुछ लोगो को पता नही होता आगे क्या करना है,कुछ लोग यहाँ ऐसे होते है जिन्हे विभाग के इमारत या यहाँ के लोगो के प्रती कोई भी फिलींग नही होती है. एक बुरी बात मुझे औरंगाबाद के बाद यहाँ भी दिखी प्रतियोगीता परिक्षा के विद्यार्थी यहाँ आकर किसी और का हक (जिसे सच मे पत्रकारिता करना होता है उन्हे अ‍ॅड्मिशन नही मिलता) मारते है. मतलब इन्हे पत्रकारिता करना नही होता. सिर्फ यहाँ की लायब्ररी का इस्तेमाल कर अपनी MPSC या UPSC की पढाई करतेहै. गर इस टर्म मे रिजल्ट आया तो कोर्स बीच मै ही छोड देंगेवरना कोर्स पुरा.
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यहाँ तीन तरह के कोर्स चलाए जाते है.
*MJMC Post-graduate, two-year (four semesters), credit point-based full time course
*Diploma in journalism, post- graduate, one year, part – time, Marathi Medium diploma course
*PG Diploma in Mass Media  Post-graduate, one year, part-time course   
*Ph.D by research
 visit us... wibsite
http://www.unipune.ac.in/dept/mental_moral_and_social_science/communication_journalism/default.htm

भारत के अलग-अलग राज्यो से  यहाँ विद्यार्थी पत्रकारिता के अध्ययन के लिए आते है. भारत के बाहर से भी आंतरराष्ट्रीय विद्यार्थीयोका जमघट यहाँ होता है. विषेशत: महाराष्ट्र की चारो विभाग के लोग यहाँ आते हैकोई मराठवाडा से आते हैकोई विदर्भ से , तो कोई कोंकण से,कोई खांदेश से,कोई मुंबई से हर विभाग बोली बोलने वाला यहाँ आते है. अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमी जैसी भी हो यहाँ हर कोई एक है. बहुविध परंपरा के दर्शन यहाँ होते है.
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कुछ न कुछ ढुंढती ही रहती है
राह-दर-राह ये नजर तन्हा

विभाग मे शिक्षा ग्रहण करते हुयेहमने पाया कियहाँ के कैंटीन मे आस-पास के सभी कॉलेज के विद्यार्थीअध्यापक गणकविलेखकफिल्मकारवकिलकथाकार,प्रशासनिक सेवा के अधिकारी,समाजसेवक,बुध्दीजिवी वर्ग,पत्रकार और संपादक का जमघट आये दीन रहता है. इसलिए यहाँ तरह-तरह के विचार सुनने को मिलते है. यहाँ हर कोई अपनी-अपनी विचारधारा प्रसारित करता है. फिर भी यहाँ का ज्ञान अधुरा है ऐसा बार-बार लगता है. क्योकी कहते हैज्ञान की भूक कभी नही मिटती’ यह विचार हमने यहाँ ही सिखा है. राह-दर-राह यहाँ हर कोई ज्ञानी है. इनको देख अपनी ज्ञान की औकात समझ आती है. अपनी दिशाओ को नया आयाम देने की शुरवात यही से होती है.
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चार सु भीड है मगर अक्सर
मै इधर तु उधर तन्हा

यहाँ विभाग के कैंटीन मे अलग-अलग कॉलेज जैसे,गोखले अर्थशास्त्र संस्थामराठवाडा मित्र मंडलफर्ग्युसन कॉलेजलॉ कॉलेजफिल्म संस्थान,बृह्नमहाराष्ट्र कॉमर्स कॉलेज,गरवारे कॉलेजएस.पी. कॉलेज तथा प्रतियोगीता परिक्षाओके के विद्यार्थी लडके-लडकियो का जमघट आये दीन रहता है. मै तो यह कहता हुं किहमारा विभाग का कैंटीन एक स्वायत्त विश्वविद्यालय है. इतने सारे विषयो के अध्ययनकर्ता एक साथ आते है. विचार विमर्ष होता है. कई हसीन लडकियो से दोस्ती भी होती है. तो  कुछ से नजर लड जाती है. कोई सिर्फ घंटो तांकते रहता है. तो कोई बेबस नजर आता है. आये दीन यहाँ दिल जुडते भी है और टुटते भी है. यहाँ के लव्ह स्टोरी की एक अलग से इबारत लिखी जा सकती है. कुछ रिश्ते यहाँ इतिहासकालिनहै मतलब सालो से पुराने. यहाँ दो साल मे मैंने कई दिल टुटते बिखरते देखे है तो कई दिलो को जुडते देखाहैकोई किसपर फिदा है तो कोई लडकीकिसी पर मर मिटी हैतो किसी को कोई भाव नही देता है. तो कुछ की समझौता एक्स्प्रेस धीमी गती से दौडा रहा थातो कईयो के डिब्बे स्टेशनो की तरह आये दीन बदलते रहते थे. यहाँ कौन किसके साथ है आखीर तक समझ नही पाया. क्लास की अलग लव्ह स्टोरीकैंटीन की अलगतो समुह की अलग,तो उधरवाली कॉल पर. न जाने कौन किस मकाम पर होंगा रब जाने. छोडो बेकार की बातो से अब हमको क्या लेनाकुछ तो लोग कहेंगे..........
वक्त रुकता नही कही टिककर
इसकी आदत भी आदमी-सी-है

आज के बाद पता नही कौन कहाँ होगा पर जो भी कही रहेंगे हरदम इस सुहाने पलो को याद करते रहेंगेफिर चाहे दिल्ले टूर होमुंबई टूरया पंजाब दौरासब यहाँ से हसीन यादे संजोग कर जायेंगे. इस मौके पर फिल्म बेताब एक गीत याद आ रहा है.

जब हम जवाँ होंगेजाने कहाँ होंगे,
लेकिन जहाँ होंगे तुम्हे याद करेंगे..

आखीर मे दिल के जज्बातोका बहाव ...

दिल बेचैन है तेरे जाने के खबर से
कैसे करु रुखसत तुझे यादो  के शहर से
क्रमश: 
कलिम अजीम
06 मई 2014
पुणे विश्वविद्यालय

वाचनीय

Name

अनुवाद,2,इतिहास,49,इस्लाम,38,किताब,24,जगभर,129,पत्रव्यवहार,4,राजनीति,297,व्यक्ती,21,संकलन,61,समाज,258,साहित्य,77,सिनेमा,22,हिंदी,53,
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बैचैन हूँ बिछड जाने के खबर से
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