महाराष्ट्र सरकार के मौलाना आजाद अल्पसंख्यक आर्थिक विकास निगम ने पिछले दो साल (2011-12,2012-13) में केंद्र से अल्पसंख्यकों के आर्थिक विकास के लिए मिली राशि के खर्च का उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट) ही नहीं दिया है.
यही वजह है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएडीएफसी) ने निगम को वित्त वर्ष 2013-14 के लिए अपेक्षित फंड ही जारी नहीं किया है. यह जानकारी अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री निनोंग एरिंग ने आज लोकसभा में दी. वे चंद्रपुर के सांसद हंसराज अहीर के इस बाबत अतारांकित प्रश्न का जवाब दे रहे थे. एरिंग ने बताया कि एनएमडीएफसी ने मौलाना आजाद अल्पसंख्यक आर्थिक विकास निगम को सूचित किया था कि अगर वह 2013-14 के लिए अपेक्षित फंड चाहता है तो पहले पिछले दो वित्त वर्ष में मिली राशि के खर्च का उपयोगिता प्रमाणपत्र पेश करे.
निगम ने अभी तक तो यह ब्यौरा नहीं दिया है. संयोग से वित्त वर्ष की समाप्ति (28 फरवरी) के लिए केवल एक हफ्ते का वक्त बाकी है.
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सरकार का यह निगम केंद्र से अल्पसंख्यकों के लिए मिलने वाली राशि के इस्तेमाल का जरिया है. एनएमडीएफसी निगम को जरूरत के मुताबिक ही फंड आवंटित करती है. अल्पसंख्यक मंत्री ने यह भी स्वीकारा कि परभणी जिले के महीप रेवनवार ने केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली से शिकायत की है कि अल्पसंख्यकों की मदद के लिए तय योजनाएं लागू ही नहीं की जा रहीं.
चौंकाने वाले आंकडे.
लोकसभा में मंत्री के जवाब से सामने आया कड.वा सच चौंकाने वाले आंकडे. मंत्री द्वारा दिए गए आंकडे. बहुत चौंकाने वाले हैं. एनएमडीएफसी ने निगम को वर्ष 2010-11 में 24.92 करोड. रुपए की राशि दी थी जिसमें से मियादी कर्ज के तौर पर केवल 2311 लोगों/संस्थाओं को 10.40 करोड. रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई. यही वजह रही कि एनएमडीएफसी ने 2011-12 में मदद को आधा करते हुए 14.25 करोड. कर दिया तो निगम ने केवल 645 लोगों/संस्थाओं को केवल 4.19 करोड. रुपए की मदद की. 2012-13 में केंद्र ने रकम को बेहतर कर 19.53 करोड. किया तो 316 लोगों/संस्थाओं को महज तीन करोड. रुपए की मदद कर्ज के तौर पर की गई.
लोकमत समाचार
http://epaper.lokmat.com/samachar/epapermain.aspx?queryed=110
यही वजह है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएडीएफसी) ने निगम को वित्त वर्ष 2013-14 के लिए अपेक्षित फंड ही जारी नहीं किया है. यह जानकारी अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री निनोंग एरिंग ने आज लोकसभा में दी. वे चंद्रपुर के सांसद हंसराज अहीर के इस बाबत अतारांकित प्रश्न का जवाब दे रहे थे. एरिंग ने बताया कि एनएमडीएफसी ने मौलाना आजाद अल्पसंख्यक आर्थिक विकास निगम को सूचित किया था कि अगर वह 2013-14 के लिए अपेक्षित फंड चाहता है तो पहले पिछले दो वित्त वर्ष में मिली राशि के खर्च का उपयोगिता प्रमाणपत्र पेश करे.
निगम ने अभी तक तो यह ब्यौरा नहीं दिया है. संयोग से वित्त वर्ष की समाप्ति (28 फरवरी) के लिए केवल एक हफ्ते का वक्त बाकी है.
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सरकार का यह निगम केंद्र से अल्पसंख्यकों के लिए मिलने वाली राशि के इस्तेमाल का जरिया है. एनएमडीएफसी निगम को जरूरत के मुताबिक ही फंड आवंटित करती है. अल्पसंख्यक मंत्री ने यह भी स्वीकारा कि परभणी जिले के महीप रेवनवार ने केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली से शिकायत की है कि अल्पसंख्यकों की मदद के लिए तय योजनाएं लागू ही नहीं की जा रहीं.
चौंकाने वाले आंकडे.
लोकसभा में मंत्री के जवाब से सामने आया कड.वा सच चौंकाने वाले आंकडे. मंत्री द्वारा दिए गए आंकडे. बहुत चौंकाने वाले हैं. एनएमडीएफसी ने निगम को वर्ष 2010-11 में 24.92 करोड. रुपए की राशि दी थी जिसमें से मियादी कर्ज के तौर पर केवल 2311 लोगों/संस्थाओं को 10.40 करोड. रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई. यही वजह रही कि एनएमडीएफसी ने 2011-12 में मदद को आधा करते हुए 14.25 करोड. कर दिया तो निगम ने केवल 645 लोगों/संस्थाओं को केवल 4.19 करोड. रुपए की मदद की. 2012-13 में केंद्र ने रकम को बेहतर कर 19.53 करोड. किया तो 316 लोगों/संस्थाओं को महज तीन करोड. रुपए की मदद कर्ज के तौर पर की गई.
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अपनी बात

- कलीम अजीम
- कहने को बहुत हैं, इसलिए बेजुबान नही रह रह सकता. लिखता हूँ क्योंकि वह मेरे अस्तित्व का सवाल बना हैं. अपनी बात मैं खुद नही रखुंगा तो कौन रखेगा? मायग्रेशन और युवाओ के सवाल मुझे अंदर से कचोटते हैं, इसलिए उन्हें बेजुबान होने से रोकता हूँ. मुस्लिमों कि समस्या मेरे मुझे अपना आईना लगती हैं, जिसे मैं रोज टुकडे बनते देखता हूँ. Contact : kalimazim2@gmail.com