गुटखे पर रोक, पान मसाला
बे-रोकटोक
जब हमने रेलवे स्टेशन
के पास मौजूद पानवाले से गुटखा मांगा तो उन्होंने साफ़ कह दिया कि गुटखा
नहीं हैं. जबकि पान मसाले को ना सिर्फ दुकान पर सजा रखा था, उसकी
बिक्री भी बे-रोकटोक जारी थी.गुटखा क्यों नहीं है तो इसका जवाब देते हुए पान के ठेले
वाले ने बोला, पीछे से ही नहीं आ रहा है वैसे भी 2 लाख रुपये जुर्माना कौन भरेगा.हमने कहा कि ये पान मसाला क्यों उपलब्ध है,
तो उन्होंने कहा, रोक तो गुटखे पर लगी है,
पान मसाले पर नहीं है.
इसी तरह मैं रेलवे स्टेशन के आसपास की पांच छह पान और तंबाकू बेचने वाली दुकानों पर गया और हर जगह यही हाल पाया.
गुटखा, पान मसाला में क्या फर्क? इसके बाद मै जब शिवाजीनगर पहुंचा वहां ज़रुर एक दुकान पर सिर्फ पान मिलता दिखाई दिया. इसके बाद हम जी . एम. मार्ग पर पहुंचे तो वहां भी पान मसाले की बिक्री बे-रोकटोक जारी थी. जिस तरह से सब गुटखे को छोड़ पान मसाला बेच रहे थे, हमारे मन में सवाल आया कि पान मासले और गुटखे में क्या फर्क है.
हमने मनीष से बात की जो काफी लंबे समय से गुटखा खा रहे हैं, फ़र्क पूछने पर मनीष ने कहा, “गुटखे और पान मसाले में कुछ खास फ़र्क नहीं हैं दोनों ही चीज़े एक बराबर है. बस ये है कि पान मसाला मंहगा है और उसमें जो सुपारी या और चीज़े इस्तेमाल की जाती है वो बेहतर होती है जबकि गुटखे में सस्ता सामान इस्तेमाल होता है.
"ये तो वो ही बात हैं कि देसी दारू पिओगे तो 5 साल में मर जाओगे और अंग्रेज़ी दारू पिओगे तो 10 साल में मरोगे. गुटका देसी दारू है और पान मसाल अंग्रेज़ी दारु."
इसी तरह मैं रेलवे स्टेशन के आसपास की पांच छह पान और तंबाकू बेचने वाली दुकानों पर गया और हर जगह यही हाल पाया.
गुटखा, पान मसाला में क्या फर्क? इसके बाद मै जब शिवाजीनगर पहुंचा वहां ज़रुर एक दुकान पर सिर्फ पान मिलता दिखाई दिया. इसके बाद हम जी . एम. मार्ग पर पहुंचे तो वहां भी पान मसाले की बिक्री बे-रोकटोक जारी थी. जिस तरह से सब गुटखे को छोड़ पान मसाला बेच रहे थे, हमारे मन में सवाल आया कि पान मासले और गुटखे में क्या फर्क है.
हमने मनीष से बात की जो काफी लंबे समय से गुटखा खा रहे हैं, फ़र्क पूछने पर मनीष ने कहा, “गुटखे और पान मसाले में कुछ खास फ़र्क नहीं हैं दोनों ही चीज़े एक बराबर है. बस ये है कि पान मसाला मंहगा है और उसमें जो सुपारी या और चीज़े इस्तेमाल की जाती है वो बेहतर होती है जबकि गुटखे में सस्ता सामान इस्तेमाल होता है.
"ये तो वो ही बात हैं कि देसी दारू पिओगे तो 5 साल में मर जाओगे और अंग्रेज़ी दारू पिओगे तो 10 साल में मरोगे. गुटका देसी दारू है और पान मसाल अंग्रेज़ी दारु."
कलिम अजीम
पुणे

वाचनीय
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अपनी बात

- कलीम अजीम
- कहने को बहुत हैं, इसलिए बेजुबान नही रह रह सकता. लिखता हूँ क्योंकि वह मेरे अस्तित्व का सवाल बना हैं. अपनी बात मैं खुद नही रखुंगा तो कौन रखेगा? मायग्रेशन और युवाओ के सवाल मुझे अंदर से कचोटते हैं, इसलिए उन्हें बेजुबान होने से रोकता हूँ. मुस्लिमों कि समस्या मेरे मुझे अपना आईना लगती हैं, जिसे मैं रोज टुकडे बनते देखता हूँ. Contact : kalimazim2@gmail.com