



1) आसाम मे रक्तपात हुआ, हजारो कि संख्या मे लोग बेघर हुए, लोगो के घर छुट गये, मासुमो की जाने गयी, यही हाल पडोसी देश म्यानमार मे हुआ. दोनो जगह अल्पसंख्याक परिवारो को निशाना बनाया गया. इस घटनाक्रम का समाचार पत्रो मे एक भी समाचार नही आया. मीडियाकर्मी ने इसकी जरा भी सुध न ली. लोग चिखते चिल्लाते रहे , मदद की गुहार लगाते रहे, सरकार ने भी अनसुनी की. हर जगह पहुचने वाला कोई मीडिया वहाँ नही पहुचा, न सरकार की मदद यंत्रणा. लोग मदद की भीक मांगते- मांगते मर गये. इन सबका गुनाह सरकार के साथ मीडिया के सर भी रहेंगा, अल्लाह इसका गवाह है.
2) दुसरी घटना का जायजा लिया जाए तो यह बात सामने आती है की, असम तथा इशान्य परप्रांतीय लोगो को कर्नाटक और आंध्रा से निकालने के लिये एक SMS / MMS फ़ैलाया जा रहा है. आपत्तीजनक व्हिडीओ ब्ल्युटूथ के जरिये लोगो को बाँटा जा रहा है. इस घटना के तय तक जाने से पहले मीडिया के साथ सरकार भी गहरी निंद से जागी, सिर्फ़ एक अफ़वाह ने, राज्य और केन्द्र ने अपनी तमाम यंत्रणा को काम मे लगा दिया, बुलेटीन और समाचारपत्रो मे एक साथ तीन तीन समाचार प्रकाशित किये जाने लगे, लेख लीखे जाने लगे. इशान्य भारतीय लोगो को लेकर बैठके लिये जानी लगी. उन्हे हर तरह से सेफ़ रखने के वादे किये जाने लगे.
क्या फ़र्ख है इन दो घटनाओ मे आम आदमी मर रहा है. इसकी खबर देना इस मीडिया ने गवारा नही समझा. और सिर्फ़ अफ़वाह को दहशत का रंग इस तरह दिया कि इन समाचारो के बाद इशान्य भारतीय सचमुच डर गये. और पलायन करना शुरु किया, न की लोगो के डर से बल्की मीडिया कि डर से. इन दो घटना से साफ़ होता है की मीडिया सरकार के हाथो बिक चुकी है.
कलीम अजीम, अंबाजोगाई

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- कलीम अजीम
- कहने को बहुत हैं, इसलिए बेजुबान नही रह रह सकता. लिखता हूँ क्योंकि वह मेरे अस्तित्व का सवाल बना हैं. अपनी बात मैं खुद नही रखुंगा तो कौन रखेगा? मायग्रेशन और युवाओ के सवाल मुझे अंदर से कचोटते हैं, इसलिए उन्हें बेजुबान होने से रोकता हूँ. मुस्लिमों कि समस्या मेरे मुझे अपना आईना लगती हैं, जिसे मैं रोज टुकडे बनते देखता हूँ. Contact : kalimazim2@gmail.com