संजीव भट्ट को गिरफ्तार करवाकर उन्होंने एक बार फिर यह साबित किया है. इन्कलाब ने लिखा है कि मोदी दरअसल झूठ पर झूठ के भंवर में इस तरह फंसे हुए हैं कि सच से टकराने की मूर्खता कर रहे हैं. उनकी परेशानी उस सच का दोबारा सामने आना है जिसके बारे में वह इस भ्रम में डूबे थे कि उसे ठिकाने लगाया जा चुका है, या यदि वह जाहिर हुआ तो जाहिर करनेवाले को ठिकाने लगा दिया जाएगा.
मगर संजीव भट्ट सिर पर कफ़न बांध कर निकलने वाले उन बहादुर लोगों में से एक हैं जो मोदी के झूठ की पोल खोलने के लिए पहाड. जैसी मुश्किलों से टकराने का हौसला रखते हैं. उन्हें अब तक की कोशिशों में इतनी सफलता तो मिल ही चुकी है कि हडबड़ी में की गई इंतकामी कार्रवाई के जरिए नरेंद्र मोदी अपने चेहरे पर चढे.
नकाब को अपने ही हाथों से हटाने पर मजबूर हो गए. देश के अंदर और बाहर आखिर कौन है जो संजीव भट्ट को गिरफ्तार करने, उनके घर पर छापे मारने या इससे पहले उन्हें नौकरी से बर्खास्त करने और उनके खिलाफ बीस साल पुराने मुकदमे की फ़ाइल दुबारा खुलवाने के पीछे के कारण को नहीं समझ रहा है?
मोदी के खिलाफ संजीव भट्ट की जंग विधाता के विधान की बस एक झलक मात्र है जिसके तहत झूठ के मुकाबले में सच और जुल्म के मुकाबले में इंसाफ की जीत को यकीनी बनाया गया है. संजीव भट्ट भी उसी गुजरात से हैं जिसमें झूठ के पनपने की फिज़ा तैयार की गई.
मोदी अपनी भेदभावपूर्ण राजनीति में अबतक सफल रहे, लेकिन सांप्रदायिक कत्लेआम के कारण देश के सबसे अधिक विवादस्पद व्यक्ति भी वही हैं. अब संजीव भट्ट के द्वारा अदालत में पेश होनेवाले हलफनामों से लग रहा है कि भट्ट मोदी के लिए भारी संकट साबित होंगे. कोर्ट को भी अपने इशारों पर नचाने की मोदी की उम्मीद पूरी नहीं होगी.
संकलन- कलीम अजीम, औरंगाबाद
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- कलीम अजीम
- कहने को बहुत हैं, इसलिए बेजुबान नही रह रह सकता. लिखता हूँ क्योंकि वह मेरे अस्तित्व का सवाल बना हैं. अपनी बात मैं खुद नही रखुंगा तो कौन रखेगा? मायग्रेशन और युवाओ के सवाल मुझे अंदर से कचोटते हैं, इसलिए उन्हें बेजुबान होने से रोकता हूँ. मुस्लिमों कि समस्या मेरे मुझे अपना आईना लगती हैं, जिसे मैं रोज टुकडे बनते देखता हूँ. Contact : kalimazim2@gmail.com